Naresh Meena News : जयपुर। राजस्थान की सियासत में घमासान मचाने वाला ‘नरेश मीणा थप्पड़ कांड’ एक बार फिर से सुर्खियों में छाया हुआ है। कोर्ट ने नरेश मीणा के साथियों की जमानत पर फैसला सुरक्षित रखा था, लेकिन अब फैसले को निरस्त करते हुए जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। नरेश मीणा के लिए यह बड़ा झटका है, तो आइए जानते हैं पूरी कहानी?
यह मामला 13 नवंबर को टोंक जिले के समरावता गांव में हुए विधानसभा चुनाव का है, समरावता के ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया था। निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने आरोप लगाया कि मतदान केंद्रों पर जबरन वोट डलवाए जा रहे हैं, इसी विवाद के चलते उनकी बहस मालपुरा एसडीएम अमित चौधरी से हो गई, और गुस्से में आकर उन्होंने उन्हें थप्पड़ मार दिया।
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इस घटना के बाद समरावता में माहौल तनावपूर्ण हो गया, रात में पुलिस ने नरेश मीणा को गिरफ्तार किया, लेकिन इससे गुस्साई भीड़ ने हिंसा शुरू कर दी। पथराव, आगजनी और लाठीचार्ज के बाद हालात और बिगड़ गए। पुलिस ने 50 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें नरेश मीणा भी शामिल थे।
इस मामले में 42 आरोपियों की जमानत के लिए सुनवाई पूरी हो चुकी थी और शुक्रवार को उनकी जमानत पर फैसला अना था, परन्तु कोर्ट ने जमानत याचिका को अब खारिज कर दिया है, मतलब नरेश मीणा के 42 साथियों को भी अभी जेल में रहना पड़ेगा। इन आरोपियों की पैरवी एडवोकेट सलीम सूरी ने की है, 4 नाबालिगों को पहले ही जमानत मिल चुकी है, और 42 अन्य आरोपियों के बाहर आने पर सबकी नजरे टिकी हुई थी। मगर ऐसा ना हो सका और नरेश मीणा एक बार फिर बड़ा झटका लगा है।
आपको बता दें कि नरेश मीणा ने देवली उनियारा विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था। वह कांग्रेस के बागी उम्मीदवार थे। थप्पड़ कांड के बाद राज्य में सियासी भूचाल आ गया था। भाजपा और कांग्रेस, दोनों दलों के नेताओं ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रियाएं दी थीं।” सभी की नजरें 42 आरोपियों की जमानत पर टिकी थी, अब उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई है, इस फैसले का असर न केवल समरावता गांव पर, बल्कि राजस्थान की राजनीति पर भी पड़ सकता है।
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