पाली के जाडन स्थित ओम् आश्रम (OM Ashram Jadan) में दुनिया के एक मात्र ओम् आकार में शिव मंदिर का निर्मा किया गया है। यह मंदिर इतना भव्य है कि इसको बनाने में 28 साल से ज्यादा का समय लग गया। इसका श्रेय विश्वदीप गुरुकुल के महामंडलेश्वर महेश्वरानंद महाराज को जाता है। बताया जाता है कि महाराज बचपन में बकरियां चराने का काम करते थे और लेकिन बाद में वह एक महान संत बने।
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महेश्वरानंद महाराज।
प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा शामिल होंगे। (OM Ashram Jadan) पाली में जाडन के पास नेशनल हाईवे-62 पर विश्वदीप गुरुकुल (ओम् आश्रम) है। मंदिर की नींव 1995 में रखी गई थी और अब जाकर यह मंदिर तैयार हुआ है। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में 20 हजार लोगों को आमंत्रित किया गया है, जिनके लिए भोजन की भी व्यवस्था की गई है।
बकरियां चराने वाला बना महामंडलेश्वर
एक साधारण परिवार का बच्चा महेश्वरानंद बन गया और जिसने कई लोगों की जिंदगी बदल दी। बच्चा जो जंगल में बकरियां-ऊंट चराने चला जाता था। जन्म 15 अगस्त 1945 को पाली जिले के रूपावास पुरोहितान में हुआ। (OM Ashram Jadan) माता का नाम फूलीदेवी और पिता का नाम किशनाराम था। स्कूल में ज्यादा मन नहीं लगता था और स्कूल से भागकर जंगल में शांति की तलाश में चला जाता था। वहां बकरियां और ऊंट चराता था और जंगल की शांति सुकून देती थी।
बदला जीवन
संत माधवानंद पुरी उनके गांव आए थे और तब मां के साथ मैंने भी उनका आशीर्वाद लिया था। (OM Ashram Jadan) इस दौरान मां ने कहा कि यह पढ़ाई नहीं करता है तो उन्होंने कहा कि इसे मुझे सौंप दो। मां से आज्ञा मिलने पर 9 साल की उम्र में स्वामी माधवानंद के सान्निध्य में नीपल धाम चला गया। योग, ध्यान, धर्म शास्त्र, अध्यात्म की सीख ली।
ओम् आकर का मंदिर
उन्हें सपने में ओम् की ध्वनि सुनाई दी और उन्होंने तुरंत ओम् आकार का शिव मंदिर बनाने का संकल्प लिया। (OM Ashram Jadan) 1995 में मंदिर की नींव रखी और अब यह बनकर तैयार है। संत महेश्वरानंद को विश्व में कई प्रकार की उपाधि से सम्मानित किया गया है।
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10 फरवरी से प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम शुरू
10 फरवरी से मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम शुरू हो गया था। (OM Ashram Jadan) प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए विदेशों से 2 हजार से मेहमान आए हैं। 250 एकड़ के आश्रम में मंदिर बीचों बीच बना है। गुरुकुल के संस्थापक स्वामी माधवानंद की समाधि है।