जयपुर। राजनीति की पहली सीढ़ी छात्र राजनीति से हो कर गुजरती है। छात्र राजनीति का इतिहास 170 साल पुराना है। आजदी से पहले तथा उसके बाद छात्र राजनीति भूमिका बदलती गई। छात्र राजनीति हमेशा से ही राजनीति का केंद्र रही है। छात्र शक्ति ने एक नारा हमेशा दिया है। जब-जब छात्र बोला है राज सिंहासन डोला है। छात्र राजनीति का सफर तय कर प्रदेश की मुख्यधारा की राजनीति का सफर तय करने वालों की एक लंबी फेहरिस्त है। राजस्थान की कई यूनिवर्सिटी से निकल कर आज छात्र नेता सांसद-विधायक ताथा मुख्यमंत्री तक बने है।
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यूनिवर्सिटी से निकल कर कई छात्र नेताओं का राजनीतिक सफर हुआ शुरू
राजस्थान यूनिवर्सिटी, जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी तथा उदयपुर की सुखाड़िया यूनिवर्सिटी ने कई लीडर दिए। राजस्थान यूनिवर्सिटी जो 1947 में अस्तित्व में आई इस यूनिवर्सिटी से निकल कर कई छात्र नेताओं का राजनीतिक सफर शुरू हुआ। राजस्थान यूनिवर्सिटी ने सबसे ज्यादा नेता दिए। 1968 में विश्वविद्यालय से ज्ञान सिंह चौधरी ने चुनाव लड़ा और छात्रसंघ अध्यक्ष बने। छात्र नेता से सफर शुरू कर चौधरी ने मंत्री तक का सफर तय किया। 1974 में कालीचरण सराफ आरयू के अध्यक्ष बने वर्तमान में कालीचरण सराफ मालवीय नगर से विधायक है। इसके साथ ही भाजपा सरकार के समय स्वास्थ्य मंत्री भी रहे।
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छात्र नेता बने दिग्गज राजनेता
नेता प्रतिपक्ष राजनेंद्र राठौड़ 1978 में छात्र संघ अध्यक्ष बने वहीं पीएचईडी मंत्री महेश जोशी ने 1979 में छात्र संघ चुनाव लड़ कर जीत हासील की। र्पूव उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत भी छात्रसंघ अध्यक्ष रहे। पूर्व स्वास्थ मंत्र रघु शर्मा 1981 में छात्रसंघ अध्यक्ष बने। प्रतापसिंह खाचरियावास 1992 में छात्रसंघ बने और मंत्री तक का सफर तय किया। जितेंद्र श्रीमाल भी इस लिस्ट में शामिल है। श्रीमाली ने 1993 में छात्रसंघ चुनाव लड़ा और वर्तमान में ग्रेटर नगर निगम में समिति चेयरमैन है।
सचेतक महेंद्र चौधरी 1995 में अध्यक्ष बने इस लिस्ट में हनुमान बेनीवाल का भी नाम शामिल है बेनीवाल ने 1997 में अध्यक्ष का चुनाव जीता और आज मुख्यधारा की राजनीति में सासंद है। राजकुमार शर्मा ने 1999 में छात्रसंघ चुनाव जीता और सीएम के सलाहकार भी रहे। 2000 में अशोक लाहोटी ने चुनाव जीता और उसके बाद मेयर बने। मुकेश भाकर तथा रामनिवास गावड़िया छात्र राजनीति से निकल कर आज विधायक बन चुके है।
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सीएम गहलोत ने छात्र राजनीति से किया सफर शुरू
जेएनवीयू यूनिवर्सिअ तथा सुखाडिया यूनिवर्सिटी से भी कई नेता बने सीएम अशोक गहलोत ने छात्र राजनीति से ही मुख्य धारा की राजनीति का सफर तय किया है। हालांकी सीएम गहलोत को छात्रसंघ चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने 1992 में जेएनवीयू से चुनाव लड़ा और छात्रसंघ अध्यक्ष बने। सीपी जोशी 1973 में सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में अध्यक्ष रहे। पूर्व यूडीएच मंत्री श्रीचंद कृपलानी भी छात्रसंघ अध्यक्ष रहे है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी तथा पूर्व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अरूण चतुर्तेदी ने भी अपना सफर छात्र राजनीति से शुरू किया।
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