सीनियर टीचर भर्ती का पेपर लीक करने वाले मास्टरमाइंड वाइस प्रिंसिपल शेरसिंह मीणा को एसओजी ने गिरफ्तार कर लिया है। सेकंड ग्रेड पेपर लीक में नाम आने के बाद से ही शेरसिंह फरार चल रहा था। जेल में बंद मास्टरमाइंड भूपेंद्र सारण से पूछताछ में शेरसिंह के नाम का खुलासा हुआ था। पुलिस को जब शेरसिंह उर्फ अनिल मीणा के उड़ीसा में होने की जानकारी मिली तो एक टीम को उड़ीसा के लिए भेजा। बुधवार शाम को पुलिस की टीम ने उड़ीसा में लोकेशन ट्रेक होने के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया।
इस तरह हुई थी भूपेंद्र सारण से दोस्ती
शेरसिंह उर्फ अनिल मीणा आबूरोड के स्वरूपगंज के भावरी गांव में सरकारी स्कूल में वाइस प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत था। इससे पहले वह जयपुर के फागी में सरकारी स्कूल में टीचर था। वहीं पर पेपर लीक आरोपी जगदीश बिश्नोई भी कार्यरत था जो कि भूपेंद्र सारण की नकल गिरोह से जुड़ा हुआ था। जगदीश बिश्नोई के जरिए ही शेरसिंह की भूपेंद्र सारण से दोस्ती हो गई। फिर भूपेंद्र सारण और शेरसिंह ने मिलकर सीनियर टीचर भर्ती परीक्षा का पेपर लीक करने की प्लानिंग की।
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राज्य सरकार ने 2 आरोपियों पर रखा 1-1 लाख का इनाम
पेपर लीक करने वाले दोनों मास्टरमाइंड सुरेश ढाका और शेरसिंह फरार चल रहे है। इन दोनों पर ही राजस्थान सरकार ने 1-1 लाख रुपए के इनाम की घोषणा की हुई है। शेरसिंह मीणा पकड़ा जा चुका है। फिलहाल सुरेश ढाका के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है।
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ऐसे समझे पेपर लीक की गणित
सबसे पहले भूपेंद्र सारण ने शेरसिंह से पेपर खरीदा। शेरसिंह ने पेपर सुरेश ढाका को बेचा। उसके बाद ढाका ने अपने साले सुरेश विश्नोई की मदद से अभ्यर्थियों को 5-5 लाख रुपए नें पेपर बेचा। अब बात शेरसिंह पर आकर रूक गई है कि उसको पेपर कहां से मिला। इसके पीछे किसी बड़े व्यक्ति का नाम होने के कयास लगाए जा रहे हैं।