जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो चुकी है। ऐसे में पायलट ओर गहलोत के बीच की तकरार कम करने के लिए आलाकमान हर संभव प्रयास कर रहा है। आलाकमान ने गहलोत और पायलट को बुलाकर सुलह करने और दोनों के साथ में चुनाव लड़ने का भी दावा किया है। सबकी निगाहें सचिन पर टिकी है आखीर पायलट की अगली रणनीति क्या होगी। यह सियासत के गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। भ्रष्टाचार और युवाओं की आशंकाओं को मुद्दा बनाकर जन आक्रोश यात्रा के साथ पायलट अजमेर से जयपुर के लिए रवाना हुए थे। पायलट ने यात्रा शुरू करने से पहले कहा था राजनीति आग का दरिया है जिसे तैरकर पार करना है।
पायलट ने जनसंघर्ष यात्रा के जरीए तीन ऐसी मांगे रखी है जिनका पूरा होना नामुमकिन है। ऐसे में पायलट ने इन मांगों को पूरा करने के लिए मात्र 15 दिन का समय दिया था जो आज खत्म होने जा रहा है। अब सबकी निगाहें मुख्यमंत्री गहलोत पर टिकी है आखिर गहलोत इस पर क्या र्निणय लेंगे युवाओं के साथ ही गहलोत समर्थकों में भी असमंजस की स्थिती बनी हुई है आखिर पायलट अब क्या करेंगे। क्योंकी दिल्ली में हुई बैठक के बाद पायलट और गहलोत के एक साथ चुनाव लड़ने की बात सामने आ रही है, तो क्या ऐसे में पायलट अपनी ही पार्टी के खिलाफ फिर से मोर्चा खोलेंगे। सवाल यह भी उठता है की पायलट की अगली रणनीति क्या होगी।
दिल्ली में हुई बैठक के बाद पायलट को काई पद नहीं दिया गया है, लेकिन पायलट को जल्द ही कोई पद भी दिया जा सकता है। यदि पायलट के अल्टीमेटम पर कोई कार्रवाई नहीं होती है तो पायलट कोई बड़ा निर्णय भी ले सकते हैं। पायलट के अल्मीमेटम का आज अंतिम दिन है ऐसे में देखना यह होगा की मुख्यमंत्री गहलोत इस पर क्या निर्णय लेते है।
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