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Rajasthan Politics : जयपुर। राजस्थान राइजिंग इंवेस्टमेंट समिट 2024 के खत्म होते ही राजस्थान में राजनीति में बड़ा बवाल मचने वाला है, इस बवाल में राजस्थान के 7 जिलाध्यक्ष और 21 विधायकों पर गाज गिरने वाली हैं, हो सकता है भजनलाल शर्मा एक्शन लेते हुए इन विधायकों और जिलाध्यक्षों को घर बैठा दें, तो आइए जानते है क्या है पूरा मामला?
केंद्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार है, फिर भी 21 जिले व विधानसभा में विधायकों और जिला अध्यक्षों के लापरवाही के चलते भाजपा पिछड़ गई, राजस्थान के 21 जिलों में भाजपा सदस्यता अभियान में पिछड़ गई, अभियान में 85 लाख से ज्यादा सदस्य तो बन गए, लेकिन लक्ष्यों के दावों से भाजपा बहुत पीछे रह गई। अब केंद्र में बैठी भाजपा की तिकड़ी सदस्यता अभियान में पिछले वाले जिलों की रिपोर्ट ले रही है, ऐसे में जहां भी लापरवाही हुई है वहां के मौजूदा जिला व मंडल स्तर के पदाधिकारियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है। आलम यह है कि कई जिलों के पदाधिकारी 50 हजार भाजपा सदस्य भी नहीं बना पाए हैं।
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सिर्फ इतना ही नहीं कई विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा सदस्यों की संख्या 20 हजार से भी कम रह गई, केंद्रीय व राज्य नेतृत्व इन जिलो व मंडल को लेकर गंभीर है। कई जिलाध्यक्षों में सदस्यता अभियान के दौरान विधायकों सहित अन्य जनप्रतिनिधियों के सक्रिय नहीं होने के कारण सदस्यता अभियान से प्रदेश में करीब 83 लाख सदस्य ही बने थे। कम सदस्यता वाले जिलों और जिला अध्यक्षों की बात करें तो प्रतापगढ़ जिला अध्यक्ष गोपाल कुमावत, धौलपुर जिलाध्यक्ष सत्येंद्र पाराशर, बूंदी जिला अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल, डूंगरपुर जिलाध्यक्ष हरीश पाटीदार, बांसवाड़ा जिला अध्यक्ष लाभचंद पटेल, सवाई माधोपुर जिला अध्यक्ष सुशील दीक्षित और जोधपुर देहात उ. जिला अध्यक्ष जगराम विश्नोई प्रमुख हैं। वहीं सदस्य बनाने में पिड़ने वाले क्षेत्रों की बात करें तो घाटोल, बसेड़ी, डेगाना, बागीदौरा, बाड़ी, राजखेड़ा, बामनवास, लाडनूं, थानागाजी, कोलायत, किशनगंज, बहरोड़ और कोटपूतली हैं।
भाजपा सदस्यता अभियान में अब तक 85 लाख ही सदस्य बन पाए हैं, इसमें 65 लाख सदस्य ऑनलाइन और 20 लाख सदस्य ऑफलाइन बने हैं। यह अभियान 25 नवंबर को पूरा हो गया, सदस्यता अभियान की समय सीमा बढ़ाने और ऑफलाइन सदस्य बनाने में रियायत देने के बाद भी भाजपा अध्यक्ष और विधायक सदस्य नहीं बना पाए हैं। हर विधानसभा क्षेत्र में 60 हजार सदस्य बनाने का लक्ष्य मिला था, भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने शुरुआत में राजस्थान को एक करोड़ सदस्य बनाने का लक्ष्य दिया था। इसके बाद राज्य नेतृत्व ने सवा करोड़ सदस्य बनाने का दावा किया था, लेकिन ऑफलाइन सदस्य बनाने में दिक्कत आ रही थी, ऐसे में लक्ष्य 75 लाख कर दिया गया है। पार्टी ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र को 60 हजार सदस्य बनाने का लक्ष्य दिया था, लेकिन 50 विधानसभा सीटों पर प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा है। यहां विधायकों व पार्टी के पदाधिकारियों के बीच तालमेल नहीं रहा। ऐसे में कार्यकर्ताओं को सदस्य बनाकर पार्टी से नहीं जोड़ पाए। ऐसे में पार्टी इन सीटों के विधायकों के साथ ही मंडल पदाधिकारियों से भी जवाब तलब करेगी।
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