भारतीय जनता पार्टी राजस्थान में बड़ा नेता कौन है, इसका फैसला 4 मार्च को होगा। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इस बार अपना जन्मदिन चार दिन पहले चार मार्च को चूरू जिले के सालासर में शक्ति प्रदर्शन के साथ मनाने जा रही है। वहीं भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने भी 4 मार्च को विधानसभा घेराव का ऐलान कर दिया है। दोनों ही जनता के सैलाब से अपनी ताकत का डंका बजाने की पूरी कसरत में जुटे हैं। पूनिया जहां संगठन स्तर पर कार्यकर्ताओं के दम पर आगे बढ़ रहे हैं, वहीं वसुंधरा राजे अपने समर्थकों की फौज के चलते पूरी तरह आश्वस्त है। हालांकि दोनों नेताओं के कद में काफी अंतर है। वसुंधरा राजे ने 20 फरवरी को ही सालासर में 4 मार्च को जन्मदिन मनाने की घोषणा कर दी थी। इस प्रदर्शन को असफल करने के लिए पूनिया ने छह दिन बाद जयपुर में विधानसभा के घेराव की घोषणा करते हुए सभी जयपुर शहर के विधायकों, पूर्व विधायकों को अधिकाधिक सं या के साथ प्रदर्शन में शामिल होने के निर्देश दिए हैं। जयपुर के ज्यादातर विधायक और पूर्व विधायक वसुंधरा खेमे में हैं और सालासर का सारा जि मा उन्होंने ही संभाल रखा है। ऐसे में पूनिया के आदेश हवा होने तय माना जा रहा है।
सालासर चूरू जिले में आता है। पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और विधानसभा में प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ का गृह जिला है। एक वक्त ऐसा था जब राजेन्द्र राठौड़ वसुंधरा के काफी करीबी थी, लेकिन अब उनके प्रबल विरोधी एवं पूनिया के नजदीकी है। सालासर से वसुंधरा की हुंकार काफी महत्वपूर्ण ही नहीं बल्कि सीधी चुनौती भी है।पूनिया और संगठन स्तर पर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को असफल करने के लिए प्रदेश स्तर पर जन आक्रोश रैली आयोजित की गई थी। इसके उद्घाटन के लिए भी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को बुलाया गया। आयोजन वाले दिन कार्यक्रम स्थल पर कुर्सियों को खाली देखकर नड्डा को मूड तक अपसेट हो गया। वैसे पूनिया के नेतृत्व में जितने भी उपचुनाव हुए हैं, उनमें से ज्यादातर में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। पार्टाी नेताओं का बचाव में तर्क था कि उपचुनाव में सत्ता पक्ष का पलड़ा भारी रहता है।
भाजपा स्तर पर इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में किसी प्रदेश स्तर के नेता को मु यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट नहीं करके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे को आगे रखा जाएगा और सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा। यह सब वसुंधरा को रोकने के लिए सोची समझी नीति को हिस्सा है। वसुंधरा राजे की फोटो पूनिया के नेतृत्व वाली भाजपा ने सभी कार्यक्रमों के पोस्टरों से हटवा दी थी, यहां तक कि उपचुनाव के प्रचार में भी उन्हें उतारा तक नहीं गया था। पार्टी के नेता ही नहीं कांग्रेस भी यही मानती है कि वसुंधरा ही भाजपा का सबसे बड़ा चेहरा है। उसके बिना भाजपा अधूरी है। वसुंधरा और भाजपा के मौजूदा प्रदेश नेतृत्व में चल रही खींचतान से कांग्रेस अपनी सरकार रिपीट को लेकर आश्वस्त है। भाजपा सिर्फ सरकार विरोधी लहर के भरोसे चल रही है। वसुंधरा राजे हर साल अपना जन्मदिन कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ ही मनाती है। पिछले साल बूंदी के केशोरायपाटन में मनाया गया था। वैसे वसुंधरा के हर कार्यक्रम में जनसैलाब उमड़ता है। बीते चार वर्षो में वसुंधरा राजे ने संभाग स्तर पर बड़ी बड़ी रैलियां की हैं, इनमें उमड़ी भीड से आलाकमान तक सक्रिय हो गया था। सूत्रों का कहना है कि दिल्ली दरबार ने राजस्थान में नेता कौन? को लेकर कई स्तर पर गोपनीय सर्वे करवाएं है, उनमें वसुंधरा को मिले अंकों के आसपास भी कोई दूसरा नता नहीं आया। यही कारण है कि वसुंधरा के खिलाफ पार्टी चाहकर भी कोई स्टेप नहीं ले पाई। वसुंधरा ने हर सभा में संगठन की मजबूती और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का गुणगान किया। संगठन के खिलाफ एक शब्द भी कभी नहीं बोला, ताकि विरोधी खेमे के हाथ में कुछ हथियार आए।
भारतीय जनता पार्टी राजस्थान में बड़ा नेता कौन है, इसका फैसला 4 मार्च को होगा। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इस बार अपना जन्मदिन चार दिन पहले चार मार्च को चूरू जिले के सालासर में शक्ति प्रदर्शन के साथ मनाने जा रही है। वहीं भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने भी 4 मार्च को विधानसभा घेराव का ऐलान कर दिया है। दोनों ही जनता के सैलाब से अपनी ताकत का डंका बजाने की पूरी कसरत में जुटे हैं। पूनिया जहां संगठन स्तर पर कार्यकर्ताओं के दम पर आगे बढ़ रहे हैं, वहीं वसुंधरा राजे अपने समर्थकों की फौज के चलते पूरी तरह आश्वस्त है। हालांकि दोनों नेताओं के कद में काफी अंतर है। वसुंधरा राजे ने 20 फरवरी को ही सालासर में 4 मार्च को जन्मदिन मनाने की घोषणा कर दी थी। इस प्रदर्शन को असफल करने के लिए पूनिया ने छह दिन बाद जयपुर में विधानसभा के घेराव की घोषणा करते हुए सभी जयपुर शहर के विधायकों, पूर्व विधायकों को अधिकाधिक सं या के साथ प्रदर्शन में शामिल होने के निर्देश दिए हैं। जयपुर के ज्यादातर विधायक और पूर्व विधायक वसुंधरा खेमे में हैं और सालासर का सारा जि मा उन्होंने ही संभाल रखा है। ऐसे में पूनिया के आदेश हवा होने तय माना जा रहा है। सालासर चूरू जिले में आता है। पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और विधानसभा में प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ का गृह जिला है। एक वक्त ऐसा था जब राजेन्द्र राठौड़ वसुंधरा के काफी करीबी थी, लेकिन अब उनके प्रबल विरोधी एवं पूनिया के नजदीकी है। सालासर से वसुंधरा की हुंकार काफी महत्वपूर्ण ही नहीं बल्कि सीधी चुनौती भी है। पूनिया और संगठन स्तर पर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को असफल करने के लिए प्रदेश स्तर पर जन आक्रोश रैली आयोजित की गई थी। इसके उद्घाटन के लिए भी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को बुलाया गया। आयोजन वाले दिन कार्यक्रम स्थल पर कुर्सियों को खाली देखकर नड्डा को मूड तक अपसेट हो गया। वैसे पूनिया के नेतृत्व में जितने भी उपचुनाव हुए हैं, उनमें से ज्यादातर में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। पार्टाी नेताओं का बचाव में तर्क था कि उपचुनाव में सत्ता पक्ष का पलड़ा भारी रहता है। भाजपा स्तर पर इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में किसी प्रदेश स्तर के नेता को मु यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट नहीं करके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे को आगे रखा जाएगा और सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा। यह सब वसुंधरा को रोकने के लिए सोची समझी नीति को हिस्सा है।
वसुंधरा राजे की फोटो पूनिया के नेतृत्व वाली भाजपा ने सभी कार्यक्रमों के पोस्टरों से हटवा दी थी, यहां तक कि उपचुनाव के प्रचार में भी उन्हें उतारा तक नहीं गया था। पार्टी के नेता ही नहीं कांग्रेस भी यही मानती है कि वसुंधरा ही भाजपा का सबसे बड़ा चेहरा है। उसके बिना भाजपा अधूरी है। वसुंधरा और भाजपा के मौजूदा प्रदेश नेतृत्व में चल रही खींचतान से कांग्रेस अपनी सरकार रिपीट को लेकर आश्वस्त है। भाजपा सिर्फ सरकार विरोधी लहर के भरोसे चल रही है। वसुंधरा राजे हर साल अपना जन्मदिन कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ ही मनाती है। पिछले साल बूंदी के केशोरायपाटन में मनाया गया था। वैसे वसुंधरा के हर कार्यक्रम में जनसैलाब उमड़ता है। बीते चार वर्षो में वसुंधरा राजे ने संभाग स्तर पर बड़ी बड़ी रैलियां की हैं, इनमें उमड़ी भीड से आलाकमान तक सक्रिय हो गया था। सूत्रों का कहना है कि दिल्ली दरबार ने राजस्थान में नेता कौन? को लेकर कई स्तर पर गोपनीय सर्वे करवाएं है, उनमें वसुंधरा को मिले अंकों के आसपास भी कोई दूसरा नता नहीं आया। यही कारण है कि वसुंधरा के खिलाफ पार्टी चाहकर भी कोई स्टेप नहीं ले पाई। वसुंधरा ने हर सभा में संगठन की मजबूती और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का गुणगान किया। संगठन के खिलाफ एक शब्द भी कभी नहीं बोला, ताकि विरोधी खेमे के हाथ में कुछ हथियार आए।