- आदिवासियों का समर्थन फिर से जुटाने में लगी कांग्रेस
- राज्य सरकार मानगढ़ धाम के लिए तैयार कर रही विशेष प्रोजेक्ट
राजस्थान में विधानसभा चुनावों को देखते हुए भाजपा और कांग्रेस लगातार प्रयासरत है। जनता को आकर्षित करने में सारे हथकंडे अपना रही है। दोनों ही पार्टियां अपना वोट बैंक मजबूत करने में लगी हुई है। जहां भी पार्टी की कमजोर स्थिति है या फिर लंबे समय से जहां पार्टी ने ध्यान नहीं दिया वहां पर सक्रिय रूप से काम करने लगी है। कांग्रेस मूल वोट बैंक का ही समर्थन खो रही है। एक बार फिर से कांग्रेस आदिवासी समुदाय का समर्थन जीतने की कोशिश में हैं। राहुल गांधी का बांसवाड़ा दौरा इसी कारण अहम माना जा रहा है।
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भाजपा की सक्रियता ने बढ़ाई कांग्रेस की चिंता
कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक पर पिछले कुछ सालों से बीजेपी और अन्य पार्टियां जमकर बैठी हुई है। कांग्रेस फिर से आकर्षित करने की कोशिश में है। उदयपुर में हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर में निर्णय लिया गया कि फिर से कांग्रेस आदिवासी समुदाय को जोड़ेगी। उसी समय बांसवाड़ा में कांग्रेस की बड़ी सभा का आयोजन किया गया था जिसमें राहुल गांधी भी मौजूद थे। बीजेपी ने आदिवासी समुदाय को लुभाने के लिए बड़ा गेम खेला था। 1 नवंबर 2022 को पीएम मोदी बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम गए थे। भाजपा की एस सक्रियता को देखकर कांग्रेस चिंता में है। अब कांग्रेस सरकार मानगढ़ धाम के विकास के लिए विशेष प्रोजेक्ट घोषित करके आदिवासियों को लुभाने की कोशिश कर रही है। इसी के चलते बुधवार 9 अगस्त को होने वाली राहुल गांधी की रैली अहम मानी जा रही है। जानकारी के मुताबिक इस दौरान कांग्रेस आदिवासियों के लिए बड़ी घोषणाएं भी कर सकती है।
आदिवासी समुदाय में सीटों का गणित
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र जिनमें उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ आते हैं। इन स्थानों पर विधानसभा की कुल 18 सीटें है। इनमें से आदिवासी वर्ग के समर्थन में बीजेपी के पास 8 सीटें हैं वहीं कांग्रेस के पास 7 सीटें है। इनके अलावा 2 सीटों पर बीटीपी और 1 सीट निर्दलीय विधायक की है।
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बीजेपी ने दिखाया आदिवासियों की सच्ची हितैषी पार्टी
बीजेपी ने आदिवासियों को लुभाने के लिए बड़ा दांव खेला जिससे कांग्रेस का वोट बैंक कमजोर होने की कगार पर है। पहला यह है कि पीएम मोदी मानगढ़ में बड़ी सभा का आयोजन किया था। इसके साथ ही जो महत्वपूर्ण फैसला लिया वो यह था कि आदिवासी समुदाय की द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाया गया। वहीं राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने आदिवासियों के साथ पैदल मार्च निकाला था।