Mid-day Meal News: भजनलाल सरकार सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता लाने के लिए नए-नए नवाचार करने में लगी है। ऐसा करने से जनता के साथ काम करने में भी आसानी होती है। ऐसे में प्रदेश की सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से आठवीं तक विद्यार्थियों को दिए जा रहे मिड डे मील की खपत और छात्र-छात्राओं को दिए जा रहे पोषाहार को लेकर बड़ा फैसला किया है। इस योजना को लेकर कई बार अनियमितता के साथ भ्रष्टाचार की खबरे देखने को मिलती है।
‘राज सिम्स’ एप्लीकेशन तैयार किया
इस योजना में पारदर्शी बनाने के लिए मिड डे मील आयुक्तालय की ओर से एक नए नवाचार करते हुए ‘राज सिम्स’ नाम से एक ऐप तैयार किया गया है। इस एप्लीकेशन के माध्यम से सभी सरकारी स्कूल के मिड डे मील प्रभारी और संस्था प्रधान प्रतिदिन स्कूल में उपयोग किए गए भोजन की मात्रा ऑनलाइन फीड करेंगे। इसके साथ ही बची हुई अन्य खाद्य सामग्री की जानकारी भी एक ऐप पर हर दिन अपलोड करनी होगी।
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पोषाहार की जानकारी
‘राज सिम्स ऐप’ के शुरू होने सरकारी स्कूलों के मिड डे मील पर सरकार और विभाग की सीधी मॉनिटरिंग होगी। इसके माध्यम से यह इस बात की जानकारी मिलती रहेगी की किस स्कूल में कितना पोषाहार रोजाना उपयोग में लिया जा रहा है। इसके साथ यह भी पता लग जाएगा की कौन से स्कूल में कक्षा एक से आठवीं तक के विद्यार्थी स्कूल में उपस्थित रहे हैं और कितने विद्यार्थियों ने पोषाहार का सेवन किया है। ऐप के माध्यम से सारी जानकारी प्रतिदिन ऑनलाइन अपलोड करनी होगी और अगर कोई ऐसा नहीं करता है तो संबंधित कर्मचारियों पर एक्शन लिया जाएगा।
हर जानकारी देनी होगी
मिड डे मील की जानकारी अपलोड करने के साथ विद्यार्थियों को बाल गोपाल योजना के तहत दिए जाने वाले मिल्क पाउडर की जानकारी भी देगी होगी। मिड डे मील में कक्षा 1 से पांचवी तक 100 ग्राम गेहूं व चावल तथा कक्षा 6 से आठवीं तक के विद्यार्थियों को डेढ़ सौ ग्राम गेहूं या चावल मिड डे मील में दिया जाता है। इसके माध्यम से खाद्यान्न सामग्री के दुरुपयोग कम हो जाएगा।
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पारदर्शिता बनी रहेगी
मिड डे मील के लिए अब ‘राज सिम्स ऐप’ शुरू किया गया है और इस ऐप के माध्यम से सरकारी स्कूलों में दिए जाने वाले पोषाहार की प्रतिदिन जानकारी देनी होगी। संस्था प्रधान या मिड डे मील प्रभारी इसके लिए जिम्मेदार होंगे और इस ऐप के माध्यम से सरकारी स्कूल में दिए जाने वाले पोषाहार के स्टॉक वितरण की जानकारी विभाग को मिलेगी।
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