जयपुर। Rajasthan Budget 2024 में भजन लाल सरकार (Bhajan Lal Sarkar) पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का बड़ा सपना पूरा कर सकती है। वसुंधरा राजे (Vashundhara Raje) का यह वो सपना है जिस पर पहले से 1800 करोड़ रूपये लगाए जा चुके है। जी हां, यह जयपुर का द्रव्यवती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट (Dravyavati River Jaipur) है जो भी अभी कई सालों से अधूरा पड़ा है। ऐसे में माना जा रहा है कि राजस्थान की भजन लाल सरकार अब वसुंधरा राजे द्वारा शुरू किए गए इस प्रोजेक्ट के लिए बजट 2024 में फंड आवंटित करते हुए पूरा करने का काम करेगी। जयपुर द्रव्यवती रिवर फ्रंट पूरा होने से शहर की सुंधरता में निखाने आने समेत मुंख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के विधानसभा क्षेत्र सांगानेर की भी कायाकल्प हो जाएगी।
द्रव्यवती रिवर फ्रंट से निखरेगा जयपुर का सौंदर्य
द्रव्यवती नदी प्रोजेक्ट (Dravyavati River Jaipur Project) की लागत 1800 रूपये है। यह पिछली बार वसुंधरा राजे सरकार द्वारा यह प्रोजेक्ट शहरों के सौंदर्यीकरण के तौर पर चलाया गया था। उस समय भाजपा सरकार ने अमानीशाह नाले को सुंदर द्रव्यवती नदी में तब्दील करने की योजना बनाकर इस पर काम शुरू किया था। इस प्रोजेक्ट पर सरकार ने 1800 करोड़ रूपये खर्च किए। लेकिन इसके बावजूद यह नदी फिर नाले में बदल गई है। इस प्रोजेक्ट जिम्मेदारी टाटा प्रोजेक्ट्स की थी जिसने सरकार बदलते ही हाथ खींच लिए हैं। लेकिन भाजपा की भजन लाल सरकार से फिर आस जगी है।
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राजनीति की भेंट चढ़ चुकी द्रव्यवती नदी
आपको बता दें कि जयपुर शहर के जिस अमानीशाह नाले को द्रव्यवती नदी (Dravyavati River Jaipur) में तब्दील किया जा रहा था वो राजनीति की भेंट चढ़ गया। वसुंधरा राजे सरकार के समय गुजरात के साबरमती रिवर-फ्रंट की तर्ज पर इसको पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किया जा रहा था, लेकिन गहलोत सरकार ने इसें ठंडे बस्ते में डाल दिया। इसका मतलब जनता की खून पसीने की कमाई के 1800 करोड़ रुपए नाले में बह गए।
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दुर्गंध वाले नाले में बदली द्रव्यवती नदी का खुलेगा भाग्य
गौरतलब है कि द्रव्यवती नदी प्रोजेक्ट (Dravyavati River Jaipur) जब शुरू हुआ था तो इसको पूरा करने की डेडलाइन अक्टूबर 2018 थी। लेकिन कई साल बीत जाने के बावजूद यह नदी फिर से दुर्गंध वाला नाला बन चुकी है। इस नाले के आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए आफत बन चुकी है। आपको जानकर हैरानी होगी 47 किलोमीटर लंबी द्रव्यवती नदी में जिले के 300 से ज्यादा छोटे-बड़े नाले आकर मिलते हैं। इन नालों के पानी को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से साफ करके इस नदी में डाला जाता है। इस वजह से इसमें 5 एसटीपी लगाए गए हैं। लेकिन कंपनी टाटा प्रोजेक्ट्स ने अब इन्हें बंद कर दिया।