Rajasthan में BJP की सरकार बने लगभग 1 महीना पूरा होने जा रहा है लेकिन अभी तक सरकार ने पूरी तरह से आकार नहीं लिया है। पहले CM पद को लेकर जबरदस्त माथापच्ची देखने को मिली और इसके बाद मंत्रिमंडल को लेकर दिल्ली तक जमकर भाग दोड़ हुई। लेकिन नए साल से पहले 12 विधायकों ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली, 5 विधायकों ने राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 5 ने राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली। इसके बाद लगा की सरकार इनके विभागों को बंटवारा भी कर देगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
विभाग बंटवारे में नेताओं की नाराजगी
इसके पीछे नहीं होने के कई कारण बताए जा रहे है उसमें से एक कारण कुछ नेताओं की नाराजगी बताई जा रही है। इस पूरी सरकार के निर्माण में एक बात तो साफ हो गई की वसुंधरा गुट के नेताओं को इस बार बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई और ऐसे में कई सवाल भी खड़े हो रहे है। सरकार ने कई अहम फैसल लेकर बता दिया है कि वह अपनी वादों पर खरा उतरेगी लेकिन जब तक विभागों का बंटवारा नहीं होगा तब तक सरकार का काम जनता तक नहीं पहुंचेगा।
यह भी पढ़े: 2024 में जयपुर के आएंगे अच्छे दिन, ये 11 बड़े सपने होंगे साकार
प्रदेश की कानून व्यवस्था
राजनीति के जानकारों की माने तो सरकार का असली चेहरा उसके विभाग होते है और ऐसे में अब सब के मन में सवाल है कि किस मंत्री को कौनसा विभाग मिलेगा। सत्ता में आने से पहले बीजेपी ने अपराध, पेपर चोरी, rape, खनन माफिया, भ्रष्टाचार के साथ कई ऐसे मुद्दे उठाए थे जो सीधे CM गहलोत के विभाग से जुड़े थे। जिसमें से सबसे अहम विभाग गृह मंत्रालय था जिसको लेकर गहलोत सराकर पूरी तरह से फेल साबित हुई थी। अब उसी अहम मंत्रालय को लेकर बीजेपी भी कुछ बड़ा करने की तैयारी में है जिसे जनता को लगे की अपराध पर अब लगाम लगेगी। लेकिन इसके साथ वित्त, राजस्व, चिकित्सा और शिक्षा विभाग जैसे मंत्रालय भी अहम माने जा रहे है।
दिल्ली आलाकमान ही तय करेगा
विभागों का बंटवारा भी दिल्ली आलाकमान के हाथों ही तय होगा क्योंकि राजस्थान में जनता Congress के 5 साल में इन विभागों के हालात देख चुकी है और ऐसे में वह ऐसे नेताओं को यह अहम विभाग देगी जो इन विभागों में अच्छे से चला सकें। गृहमंत्रालय और वित्त विभाग की जिम्मेदारी सीएम भजनलाल या Deputy CM दिया कुमारी को सौंपी जा सकती है।
यह भी पढ़े: राजस्थान से अयोध्या के लिए चलेंगी स्पेशल 15 ट्रेनें
लोकसभा चुनाव
राजस्थान में बीजेपी सरकार बनाने से लेकर मंत्रालयों के बंटवारे तक हर चीज का ध्यान रख रही है। उसका प्रमुख कारण 2024 के चुनावों में 25 सीटों पर जीत हासिल करना है और इसी वजह से इन सब में देरी हो रही है। इस बार लोकसभा चुनावों में विपक्ष के नए गठबंधन से कड़ी टक्कर मिल सकती है और ऐसे में वह हिंदी भाषाई राज्यों में अपनी पकड़ ज्यादा मजबूत करने में लगी है।