Rajasthan Reservation: राजस्थान की सियासत में 4 जून के बाद बहुत बड़े बदलाव देखने को मिल सकते है और इसकी तैयारी कर ली गई है। इनमें सबसे अहम ओबीसी आरक्षण में शामिल 14 मुस्लिम जातियों का रिजर्वेशन लाभ को खत्म करने की बात सामने आ रही है। क्योंकि लोकसभा चुनावों में इसको लेकर सियासत गरमा गई है और राजस्थान सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने इस संबंध में कहा कि सरकार ने मुस्लिम समाज के 14 वर्ग को ओबीसी वर्ग का कोटा काटकर आरक्षण का लाभ देना गलत है।
‘4 जून के बाद बनेगी कमेटी’
मंत्री ने कहा, ‘राजस्थान में वर्ष 1947 से वर्ष 2013 तक क्रमवार तरीके से 14 मुस्लिम जातियों को ओबीसी कैटेगरी के अंदर जोड़ा है। इस आरक्षण का सर्कुलर भी सरकार के पास मौजूद है, जिस पर सरकार 4 जून के बाद इस पर फैसला करेगी। संविधान में लिखा है कि धर्म के आधार पर किसी जाति को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए। लेकिन कांग्रेस ने राजनीति करते हुए ऐसा काम किया है। इसके लिए एक स्पेशल कमेटी बनेगी और इसकी समीक्षा करेगी जिसके बाद नियम अनुसार कार्रवाई होगी।
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ओबीसी में शामिल ये मुस्लिम जातियां
राजस्थान के अंदर वर्तमान में 91 जाति-वर्ग ओबीसी में शामिल हैं, इनमें नगारची-दमामी (मुस्लिम), राणा (मुस्लिम), बायती (बारोट मुस्लिम), कायमखानी, नागौरी, भिश्ती, मांगणियार, लखेरा, मिरासी, सिंधी मुसलमान, सिपाही (मुस्लिम), फकीर (कब्रिस्तान में काम करने वाले), धोबी (मुस्लिम), मेव, काठात, मेहरात, चीता, घोडात और बिसायती वो 14 मुस्लिम जातियां हैं जो ओबीसी आरक्षण का लाभ उठा रही है।
मुख्यमंत्री लेंगे बड़ा फैसला
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसको लेकर अपनी बात रखी थी। उन्होंने कहा था कि, ‘राजस्थान में धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जाएगा। हम संविधान का सम्मान करते हैं और उसी के अनुसार हम काम करेंगे। आरक्षण का लाभ केवल उन्हीं समुदायों को मिलेगा, जिन्हें संविधान में योग्य माना है।
कलकत्ता हाई कोर्ट का फैसला
कलकत्ता हाई कोर्ट ने बंगाल सरकार को झटका देते हुए 2010 के बाद जारी किए गए सभी ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द करने के लिए कहा था। कोर्ट ने कहा कि इन समुदायों को ओबीसी घोषित करने के लिए वास्तव में धर्म को आधार माना है। मुसलमानों के 77 वर्गों को पिछड़ों के तौर पर चुना जाना सही नहीं है। मुसलमानों को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए एक साधन माना है। कोर्ट के इस फैसले पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नाराजगी जताई और कहा कि वे इस फैसले को लागू नहीं करेंगी।
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