जयपुर। खींवसर से विधायक हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) एकबार फिर से सुर्खियों में आ गए हैं। इस बार उन्होंने ऐसा मुद्दा उठाया है कि पूर्व की अशोक गहलोत सरकार कटघरे में आ खड़ी हुई है। वहीं, वर्तमान भजन लाल सरकार भी इस मुद्दे पर एक्शन लेने को मजबूर होती नजर आ रही है। दरअसल, हनुमान बेनीवाल ने राजस्थान के 182 अस्पतालों में डायलिसिस मशीन खरीद के मुद्दे को उठाया है जिसमें घोटाले की बू आ रही है। यह मामला घोटाले का हुआ और जांच हुई तो करोड़ों का खेल हो चुका है जो आगे चलकर बड़ा मुद्दा बन सकता है।
32 करोड़ के Work Order पर खड़ा हुआ सवाल
दरअसल, हनुमान बेनीवाल ने राज्य के 182 सीएचसी और जिला अस्पतालों में मरीजों को तुरंत इलाज मुहैया कराने के लिए 2-2 डायलिसिस मशीने व आरओ सिस्टम खरीदे गए थे। यह कार्य आरएमएससीएल द्वारा किया गया है। इसमें हनुमान बेनीवाल ने आचार संहिता में दिए गए 32 करोड़ के वर्क आर्डर पर सवाल उठाया है। क्योंकि मशीन मुहैया कराने वाली वही कंपनी, वही मॉडल होते हुए भी राजस्थान पड़ोसी राज्यों से 10 करोड़ से 15 करोड़ रुपए महंगी खरीदी गई है। हालांकि, इसको लेकर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र खींवसर ने मामले की जांच का आश्वासन दिया है।
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विधानसभा में उठाया मशीन खरीद का मामला
आपको बता दें कि हनुमान बेनीवाल ने राज्य के 182 अस्पतालों में डायलिसिस मशीने व आरओ सिस्टम की कीमत अन्य राज्यों से ज्यादा होने को लेकर सवाल उठाया है। बताया गया है कि आरओ समेत 2-2 डायलिसिस मशीने खरीदने के लिए बिड वैल्यू 17.85 लाख रूपये रखी थी। यह वैल्यू अन्य राज्यों की तुलना में 2 से 6 लाख रूपये ज्यादा थी। इसके तहत सिंगल फर्म की दरें 21.25 लाख रूपये आई। इसमें केवल 6 हजार रूपये नेगोशिएट कर 21.19 रूपये में Work Order दे दिया गया। इसमें सबसे खास बात ये है कि ये मशीने प्रधानमंत्री डायलिसिस योजना के तहत खरीदी गई। अब ये मशीने उसकी कंपनी की तथाा माॅडल और 3 साल मेंटीनेंस वाली हैं।
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पड़ोसी राज्या में कीमत 6 से 10 लाख कम
अब सवाल यह उठा है कि इन मशीनों की कीमत पड़ोसी राज्यों में 6 से 10 लाख रूपये कम है। ऐसे में सवाल उठता है कि पड़ोसी राज्यों से 10 से 15 करोड़ रूपये ज्यादा देकर ये मशीनों क्यों खरीदी गईं। साथ ही सिर्फ सिंगल फर्म को वरीयता क्यों दी गई? इन मशीनों की कीमतों की दरें आस पड़ोस के राज्यों न करके उड़ीसा से क्यों की? इतना ही नहीं बल्कि आनन फानन में दिए गए इस वर्क ऑर्डर में दो माह में सिर्फ अस्सी मशीनें पहुंची जहां ट्रैंड स्टाफ नहीं है। ऐसे में यह मामला अब तूल पकड़ने वाला है जिसकी जांच भजन लाल सरकार करेगी तो बड़ा राज खुलकर सामने आएगा।