Rajasthan ke Hastshilp : राजस्थान कला और संस्कृति का एक ऐसा संगम है जहां आपको जीवन का हर रंग देखने को मिल जाएगा। बात चली है राजस्थान की लोक कला की तो राजपूताना की समृद्ध विरासत अपने आप में काफी कुछ संजोये हुए हैं। पुश्तैनी कारोबार जो कि अब धीरे धीरे विलुप्त होते नजर आ रहे हैं। लेकिन आज भी जब बात हस्तशिल्प (Rajasthan ke Hastshilp) यानी हैंडीक्राफ्ट की आती है तो राजस्थान का नाम अव्वल नंबर आता है। आज हम आपको राजस्थान के तमाम हस्तशिल्प उद्योगों की सूची बता रहे हैं जिससे आपको याद रखने में आसानी होगी। प्रतियोगी परीक्षाओं में ये सूची काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। क्योंकि आरएएस जैसे एग्जाम में भी राजस्थान के हस्तशिल्प (Rajasthan ke Hastshilp RAS Notes pdf) पर काफी प्रश्न आते हैं। जिलेवार ये सूची आप सब लोग जमकर शेयर करें ताकि युवा पीढ़ी को मालूम हो सके कि राजस्थान किसी से कम नहीं है।
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राजस्थान के प्रमुख हस्तशिल्प (Rajasthan ke Hastshilp)
- जयपुरी पाव रजाई – जयपुर
- ब्ल्यू पॉटरी – जयपुर, नेवटा (सांगानेर)
- सांगानेरी प्रिंट – जयपुर
- बगरू दाबू प्रिंट – बगरू, जयपुर
- लहरिया एवं पोमचा – जयपुर
- हैंडमेड पेपर – सांगानेर, जयपुर
- हाथीदाँत एवं चंदन पर खुदाई एवं पेटिंग्स – जयपुर
- पीतल पर मुरादाबादी नक्काशी का काम – जयपुर
- गलीचे – जयपुर, बीकानेर, टोंक
- लाख की चूड़ी का काम – जयपुर
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- मीनाकारी और कुंदनकारी – जयपुर
- मूर्तिकला – जयपुर (खजाने वाले का रास्ता)
- कोफ्तगिरी व तहनिशां कार्य – जयपुर
- पेपरमेशी (कुट्टी) का काम – जयपुर, उदयपुर
- कपड़ों पर मिरर वर्क – जैसलमेर
- सूंघनी नसवार – ब्यावर (अजमेर)
- लकड़ी के खिलौने – उदयपुर, सवाईमाधोपुर, जोधपुर
- स्टील/वुडन फर्नीचर – बीकानेर चित्तौड़गढ़
- पापड़ भुजिया – बीकानेर
- लकड़ी का नक्काशीदार फर्नीचर – बाड़मेर
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- मटके, सुराही – रामसर (बीकानेर)
- वुडन पेंटेड फर्नीचर – किशनगढ़, अजमेर
- गोटा किनारी – खण्डेला, सीकर, भिनाय एवं अजमेर
- थेवा कला – प्रतापगढ़
- फड़ चित्रण – शाहपुरा (भीलवाड़ा)
- रामदेवजी के घोड़े – पोकरण (जैसलमेर)
- बादला एवं मोठड़े – जोधपुर
- ऊँट की खाल के कलात्मक कुप्पों पर मुनव्वती का काम (उस्ताकला) – बीकानेर
- मलमल व जाटा – मथानियाँ व तनसुख (जोधपुर)
- हरी मैथी व हैण्डटूल्स – नागौर
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- तारकशी के जेवर – नाथद्वारा
- रसदार फल – झालावाड़, गंगानगर
- नमदे व दरियाँ – टोंक
- गुलाब के फूल एवं गुलकंद चैती गुलाब (दमश्क) – खमनौर (राजसमंद) पुष्कर
- नांदणे (घाघरे की छपी फड़द) – भीलवाड़ा
- गरासियों की फाग (ओढ़नी) – सोजत
- पिछवाइयाँ – नाथद्वारा
- रमकड़ा (सोप स्टोन के तराशे हुए खिलौने) – गालियाकोट (डूंगरपुर)
- ऊनी बरड़ी, पटू एवं लोई – जैसलमेर
- मेहंदी – सोजत (पाली)
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- पेचवर्क व चटापटी का कार्य – शेखावाटी
- जस्ते की मूर्तियाँ व वस्तुएँ – जोधपुर
- खेसले – लेटा (जालौर)
- दरियाँ – टांकला (नागौर)
- ऊनी कम्बल – गडरा रोड़ (बाड़मेर) व बीकानेर
- खेसो – चौमूं (जयपुर) व चूरू
- मसूरिया व कोटा डोरिया – कैथून (कोटा) व मांगरोल (बाराँ)
- मिट्टी के खिलौने – मोलेला (नाथद्वारा),बस्सी (चित्तौड़गढ़)
- पत्थर की मूर्तियाँ – जयपुर, थानागाजी (अलवर)
- कृषिगत औज़ार – गजसिंहपुर (गंगानगर) एवं झोटवाड़ा (जयपुर)
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- मिनिएचर पेंटिग्स – जोधपुर, जयपुर,किशनगढ़
- आजम प्रिंट – आकोला (चित्तौड़गढ़)
- लाख की पॉटरी, माण्डे – बीकानेर
- चुनरी – जोधपुर
- अजरख एवं मलीर प्रिंट – बाड़मेर
- लकड़ी के झूले – जोधपुर
- शीशम का फर्नीचर – हनुमानगढ़, गंगानगर
- चमड़े की मोजड़ियां – जोधपुर, जयपुर, नागौर
- कागजी टेराकोटा – अलवर
- सुनहरी टेराकोटा – बीकानेर
- कठपुतलियाँ – उदयपुर
- लकड़ी की कांवड़ – बस्सी (चित्तौड़गढ़)
- सरसों का इंजन छाप तेल – भरतपुर
- आम पापड़ – बाँसवाड़ा
- सरसों का वीर बालक छाप तेल – जयपुर