Rajasthan Lekhika Sahitya Sansthan: राज लेखिका साहित्य संस्थान की वरिष्ठ साहित्यकार डॉ कृष्णा रावत जी की चार पुस्तकों पर परिचर्चा कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के सामने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई।
अध्यक्ष डॉ जयश्री शर्मा ने सभी का अभिनंदन करते हुए डॉ कृष्णा रावत की साहित्यसाधना को सभी महिलाओं के लिए प्रेरक और महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया।
मंच संचालक और मीडिया प्रभारी रेनू शब्दमुखर ने बताया कि मुख्य अतिथि राज.के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. हेतु भारद्वाज ने साहित्य पर प्रकाश डालते हुए लेखिका डॉ. कृष्णा रावत के व्यक्तित्व और कृतित्व से संबंधित उनकी पुस्तकों को हिंदी साहित्य जगत के लिए बहुमूल्य और बहुपयोगी बताया। मानवीय मूल्यों की पक्षधर,लेखिका डॉ कृष्णा रावत ने अपनी सृजन यात्रा को विस्तार से बताया।
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अतिथि डॉ अमला बत्रा ने’यही है जो जिंदगी’काव्य संग्रह की काव्यात्मक शैली में सारगर्भित समीक्षा की।
विशिष्ट अतिथि डा. रेखा गुप्ता ने कृष्णा रावत जी की पुस्तक ‘साहित्य का समीक्षात्मक अनुशीलन’ की समीक्षा की। यही नहीं इस साहित्य को बहुआयामी बताया। पद्य, गद्य, निबंध, कविता, कहानी, आलोचना, सभी विधाओं पर कुशलता से लिखा है। वरिष्ठ समीक्षक डॉ आशा शर्मा ने निबंध पूर्णिमा की समीक्षा करते हुए बताया कि ‘गद्य साहित्य की कसौटी है। कार्यक्रम संयोजक श्रीकृष्ण शर्मा जो अनेक पुस्तकों के प्रणेता हैं, ने अपने उद्बोधन में बताया पिछले 40 वर्षों से लेखिका सतत लेखन कर रही हैं।
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संस्थान की सचिव डॉ. सुषमा शर्मा ने भी निबंध पूर्णिमा की समीक्षा की एवं पवनेश्वरी वर्मा ने लेखिका का विस्तृत परिचय दिया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डा. पूनम सेठी ने किया। डॉ माधुरी शास्त्री,कमलेश माथुर, ज्ञानवती सक्सेना, पूजा उपाध्याय, राज चतुर्वेदी, अरुण ठाकर, बनज, साकार, विनय, सुशीला शर्मा, पुष्पा माथुर, सरोज चौहान ,रश्मि रस्तोगी, सावित्री चौधरी आदि की उपस्थिति दी।