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Rajasthan Lok Sabha Chunav 2024: जाट बने बीजेपी की टेंशन! पूर्व कांग्रेसी करेंगे डैमेज कंट्रोल

Rajasthan Lok Sabha Chunav 2024: राजस्थान में लोकसभा चुनावों से पहले जाट समुदाय ने भारतीय जनता पार्टी की मुश्किलों को बढ़ा दिया हैं। प्रदेश में भरतपुर-धौलपुर के जाट केंद्र से आरक्षण की मांग को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे है। इन सब के बाबजूद केंद्र की बीजेपी सरकार की तरफ से अभी कोई फैसला नहीं लिया गया हैं। ऐसे में जाट समुदाय ने आगामी लोकसभा चुनावों में बीजेपी को वोट न देने का प्रण लिया है, वे सभी से साथ मांग रहे हैं।

जाटों की नाराजगी की वजह से बीजेपी एक बार फिर राजस्थान में दो दशक पुरानी स्थिति में दिखाई देने लगी हैं। दो दशक पहले भी प्रदेश में बीजेपी से जाट वोटर पूरी तरह छिटका हुआ था। किसान आंदोलन, पहलवान आंदोलन और अग्निवीर योजना को लेकर जाट, पहले से ही पार्टी से नाराज चल रहे थे। इसके अलावा, इस बार मौजूदा कैबिनेट में जाटों को बड़ी जगह न मिलना, टारगेट बेस्ड तबादले और चूरू से राहुल कस्वां का टिकट काटने से भी जाट नाराज हैं।

जाट बनाम राजपूत बनी लड़ाई

2023 विधानसभा चुनावों में बीजेपी के राजेंद्र राठौड़ को चूरू की तारानगर सीट से कांग्रेस के जाट नेता नरेंद्र बुढ़ानियां के हाथों शिकस्त मिली थी। बीजेपी की इस हार के लिए सांसद राहुल कस्वां की भितरघात को जिम्मेदार माना गया। यही से बदले की शुरुआत हुई और राहुल कस्वां का टिकट कट गया।

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वसुंधरा संग बीजेपी में आए जाट

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पहली बार जाटों को बीजेपी की तरफ लायी थी। इसकी वजह से ही बीजेपी को विधानसभा चुनावों 163 सीटों पर शानदार जीत मिली थी। इससे पहले भैरोसिंह शेखावत के समय में भाजपा के पास कोई भी बड़ा जाट चेहरा नहीं था। मौजूदा समय में भी बीजेपी के मंत्रिमंडल में जाट मंत्री तो हैं, लेकिन कोई ऐसा जाट नेता नहीं हैं, जो उनका नेतृत्व कर सके। हालांकि, बीजेपी ने सतीश पूनिया पर दांव खेला था, लेकिन वह असफल रहे।

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पूर्व कांग्रेसी करेंगे डैमेज कंट्रोल

2023 विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने कांग्रेस की ज्योति मिर्धा को पार्टी में शामिल कर लिया था। उन्हें बीजेपी ने पारंपरिक सीट नागौर से चुनाव लड़वाया, लेकिन कांग्रेस के हरेंद्र मिर्धा ने उन्हें हरा दिया। अब हरेंद्र मिर्धा और उनके बेटे विजय पाल मिर्धा बीजेपी में शामिल होने जा रहे हैं। लेकिन, यदि कांग्रेस ने यहां आरएलपी के हनुमान बेनीवाल से गठबंधन कर लिया, तो भारतीय जनता पार्टी और उसके उमीदवार की मुश्किलें बढ़ जायेगी।

Aakash Agarawal

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