जयपुर। Rajasthan News : राजस्थान में वैसे तो काली बंगा समेत कई प्राचीन सभ्यताओं की खोज हुई है लेकिन एक सभ्यता ऐसी भी मिली है जो 8000 साल पुरानी है। इसें खेड़ा सभ्यता कहा जाता है जो ईसा से भी पूर्व की है। खेड़ा सभ्यता (Kheda Civilization) राजस्थान के टोंक जिले के नगरफोर्ट कस्बे में स्थित है। खेड़ा सभ्यता के रहस्यों से अभी तक भी पूरी तरह से पर्दा नहीं उठा पाया है। यहां पर एक सुनियोजित नगर था जिसके भवनों की आज भी ईंटें निकली है। इन ईंटों को ले जाकर कई लोग खुद के घरों का निर्माण कर चुके हैं। इस सभ्यता को खोजने के लिए सबसे पहले 1942 में खुदाई की गई थी जिस दौरान यहां पर दुर्लभ सिक्के मिले। इसके इसें संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया।
टोंक जिले के नगर फोर्ट की खेड़ा सभ्यता पर शोध करने वाले डा. रिफ्अत अख्तर समेत अन्य जानकारों का कहना है कि यहां पर लगभग 8000 साल पुरानी 3 सभ्यताएं दफन हैं जिनके राज सामने आने बाकी हैं। यह सभ्यता सिंधुघाटी सभ्यता के समकक्ष अथवा उससे भी पूर्व की हो सकती है। कार्लाइल की रिपोर्ट के मुताबिक यह सभ्यता करीब 850 साल आबाद रही।
कार्लाइल की रिपोर्ट के आधार पर खेडा सभ्यता को सामने लाने के लिए 1942, 1950 में खुदाई करवाई गई। फिर 2008-09 में भी यहां की खुदाई कराई गई जिस दौरान सिक्के, आभूषण सहित कई सारे अवशेष मिले। इसके बाद क्षेत्र को चिंहित कर तारबंदी करा दी गई और एक चौकीदार नियुक्त किया गया।
कहा जाता है कि दावन व राक्षस यहां के राजा मुचुकुंद के वैभव ईर्ष्या रखते थे जिसके बाद राजा की बेटी की शादी में कुछ अनिष्ठ होने पर टकराव अथवा प्राकृतिक आपदा की वजह से यह शहर नष्ट हो गया। हालांकि, इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है। इस सभ्यता के नष्ट होने के ज्वालामुखी सहित कई प्राकृतिक आपदा के कारण भी हो सकते हैं। कार्लाइल के मुताबिक यह क्षेत्र एक किलेदार प्राचीन शहर रहा है जो ईसाई युग से भी 100 साल पहले का हो सकता है।
खेड़ा सभ्यता में खुदाई से मालव जनपद कालीन सिक्के प्राप्त हुए जिनको देखकर शोधकर्ताओं ने इस क्षेत्र को अति प्राचीन बताया और कहा कि यह सिंधु घाटी सभ्यता से भी पूर्व का हो सकता है। यहां से प्राप्त सिक्कों का आकार छोटा होने के साथ ही वो हल्के भी हैं। इन सिक्कों पर दूसरी सदी पूर्व से चौथी सदी ईसा के क्रम से करीब 40 मालवा सरदारों के नाम अंकित है। इनमें से कुछ सिक्कों पर जय मालवा तथा मालवाना जय अंकित है। इतना ही नहीं बल्कि कुछ सिक्कों पर तो मालवा सेनापतियों के नाम भी लिखे हुए हैं।
इतिहासकारों के अनुसार राजस्थान के टोंक जिले से उत्तर पूर्व में स्थित इस क्षेत्र को नगर या करकोट नगर नाम से जाना जाता है। यह करकोट नगर मालवों ने राजधानी हुआ करता था जो अब देवली-उनियारा विधानसभा क्षेत्र में आता है।
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