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Rajkumar Roat news : बासवाड़ा। राजकुमार रोत ने आदिवासियों को लेकर एक बड़ी मांग उठाई है। राजकुमार रोत ने आदिवासियों के लिए ऐसे अधिकार को जमीनी स्तर पर लागू करने की मांग की है। संविधान में मिले इस अधिकार का आज तक आदिवासियों को फायदा नहीं मिला है। इसके साथ ही राजकुमार रोत ने जातिगत जनगणना को लेकर भी बड़ी मांग कर दी है, तो चलिए जानते है कि अब राजकुमार रोत ने संविधान में छिपा कौनसा राज खोला है, आखिरकार वो कौनसा अधिकार है जो आज तक आदिवासियों को नहीं मिला।
दरअसल राजकुमार रोत ने संविधान दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर आदिवासियों के लिए एक बड़ी मांग की है, राजकुमार रोत ने सोशल मीडियां प्लेटफोर्म पर एक वीडियों जारी कर यह मांग उठाई है। बांसवाड़ां-डूंगरपूर सांसद ने कहा कि देश संविधान दिवस की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है, लेकिन यह चिंता का विषय है कि संविधान में निहित 5वीं अनुसूची, जो जनजातीय क्षेत्रों के अधिकारों और संरक्षण के लिए बनाई गई थी, आज भी जमीनी स्तर पर लागू नहीं हो पाई है, यह हमें सही दिशा में चलने के लिए बहुत जरूरी है, इसके साथ ही राजकुमार रोत ने जातिगत और समूहगत जनगणना करने की भी बड़ी मांग उठाई है।
राजकुमार रोत ने इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए कहा कि संविधान में दिए गए इस प्रावधान को आज तक सही तरीके से लागू नहीं किया जा सका है। आज भी आदिवासी इलाकों में विकास के नाम पर बहुत कम काम हुआ है, और जो योजनाएं बनाई गई हैं, वो जनजातीय समुदायों तक नहीं पहुंच पाई हैं। यह एक बहुत ही गंभीर सवाल है कि हम संविधान के 75 साल बाद भी उन समुदायों के लिए उनके अधिकारों की रक्षा करने में पूरी तरह से सफल क्यों नहीं हो पाए हैं।
राजकुमार रोत का कहना है कि अब समय आ गया है कि हम इस मुद्दे को गंभीरता से लें और संविधान में दी गई 5वीं अनुसूची को पूरी तरह से लागू करें…. उन्होंने कहा कि हमें सरकार की नीतियों और योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करने की जरूरत है ताकि जनजातीय समुदायों को उनके अधिकार मिल सकें। इसके साथ ही, सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और अन्य बुनियादी सुविधाओं का उचित वितरण हो…..यह भी जरूरी है कि जनजातीय समुदायों के अधिकारों के उल्लंघन के मामलों में कड़ी कार्रवाई की जाए। सरकार को ऐसे मामलों में सख्त कदम उठाने चाहिए, ताकि आदिवासी लोगों को उनके अधिकार मिल सकें। साथ ही, उनके लिए विशेष योजनाओं की शुरुआत की जाए, जो उनके जीवन स्तर को बेहतर बना सकें।
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रोत ने कहा कि जब हम संविधान दिवस मना रहे हैं, तो हमें यह याद रखना चाहिए कि यह सिर्फ एक ऐतिहासिक दिन नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज की दिशा तय करने का दिन है। संविधान में दिए गए अधिकारों और प्रावधानों को सही तरीके से लागू करना हमारी जिम्मेदारी है। हम सभी को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि 5वीं अनुसूची को सही तरीके से लागू किया जाए, ताकि आदिवासी समुदायों के अधिकार सुरक्षित रह सकें। सरकार और समाज दोनों को मिलकर काम करना होगा ताकि ये समुदाय अपने अधिकारों का सही तरीके से उपयोग कर सकें और उनके विकास की प्रक्रिया में कोई रुकावट नहीं हो।
इसके साथ ही आपकों बताते चले कि संविधान की 5वीं अनुसूची का उद्देश्य आदिवासी इलाकों में सरकार के हस्तक्षेप को सीमित करना था ताकि जनजातीय लोगों की ज़मीन, संस्कृति और अधिकारों का उल्लंघन न हो….हालांकि, जमीनी स्तर पर यह व्यवस्था बहुत कमजोर रही है। कई जगहों पर आदिवासी समुदायों की ज़मीनों को गैर-आदिवासी लोगों को सौंप दिया गया है, और यह इन समुदायों के लिए एक बड़ा संकट बन गया है।
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