Rajkumar Roat BAP Party: जयपुर। राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस के बाद तीसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी है भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) को लगता है ग्रहण लग गया। भारतीय ट्राइबल पार्टी (BAP) से अलग हुई भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) महज 8 महीने में तीसरी बड़ी पार्टी बनकर सामने आई, लेकिन अब बाप पार्टी में अंतकर्लह की खबरें सामने आ रही हैं। जबकि राजस्थान में उपचुनाव सिर पर है। चौसारी में होने वाले विधानसभा उपचुनाव से पहले इस तरह की खबरें राजस्थान की राजनीति में हलचल पैदा करने वाली हैं। दरअसल, जब सुप्रीम कोर्ट ने SC-ST आरक्षण में क्रीमी लेयर को लेकर फैसला सुनाया तो कई संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया। इसी दौरान बाप पार्टी दो गुटों में बंटी हुई नजर आई।
आरक्षण की आग में बाप पार्टी में पड़ी फूट
सुप्रीम कोर्ट के एससी एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर को लेकर फैसला सुनाया तो पहली बार सांसद बने राजकुमार रोत (Rajkumar Roat) ने समाज से भारत बंद का समर्थन करने को कहा तो वहीं पार्टी के दूसरे संस्थापक सदस्यों ने इसका विरोध किया। रोत पर फूट डालो और राज करने जैसे कई आरोप लगाए गए। रोत के एंटी सदस्यों ने सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम जजों द्वारा एससी एसटी आरक्षित समाज को आपस में लड़ाना वाला फैसला बताते हुए विरोध किया। आदिवासी पार्टी नेता कांति भाई रोत ने कहा था कि भारत बंद का आह्वान कौनसे संगठन ने किया है, 2 अप्रैल की घटना झेल चुके हैं। हवाई फायर आदेश नहीं चलेगा, जिसके बाद पार्टी में मतभेद की खबरों ने जोर पकड़ लिया।
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चौरासी सीट पर दावेदारी को लेकर गुटबाजी?
राजनीतिक दिग्गजों की मानें तो बाप पार्टी के अंदर वर्चस्व और पद की लड़ाई शुरू हो गई है। क्योंकि उपचुनाव से पहले चौरासी सीट पर दावेदारी को लेकर कांति भाई रोत दम लगाए हुए हैं। क्योंकि कांति भाई साल 2019 में बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा और 2023 में डूंगरपुर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। उन्हें दोनों चुनावों में हार का सामना करना पड़ा और राजकुमार रोत का गुट भी यही चाहता था कि उनके किसी विश्वास पात्र कंडीडेट को टिकट ना मिले।
नई-नवेली पार्टी ने विधानसभा में लहराया परचम
भारतीय आदिवासी पार्टी का गठन राजस्थान में विधानसभा चुनाव से 2 महीने पहले ही हुआ था। इसके बावजूद विधानसभा चुनाव में राजकुमार रोत समेत तीन विधायकों ने जीत का परचम लहराया। चौरासी विधानसभा से राजकुमार रोत, डूंगरपुर जिले के आसपुर विधानसभा क्षेत्र से उमेश मीणा और प्रतापगढ़ जिले की धरियावाद सीट से थावरचंद ने जीत का परचम लहराया था। वहीं बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिले की कई विधानसभाओं में भारतीय आदिवासी पार्टी के प्रत्याशी दूसरे नंबर पर भी रहे थे। बाप महज 8 महीने में आरएलपी और आप पार्टी से बड़ी पार्टी बन गई।
लोकसभा चुनाव में जब बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट पर कांग्रेस ने भारतीय आदिवासी पार्टी के नेता राजकुमार रोत को समर्थन दिया तो उन्होंने कांग्रेस के बागी और बीजेपी में शामिल हुए दिग्गत नेता महेंद्रजीत सिंह मालवीया को बड़े अंतर से शिकस्त देकर राजस्थान की राजनीति में खलबली मचा दी थी। वहीं मालवीया के दल बदलने के चलते खाली हुई सीट पर बागाीदौरा से बाप के ही जयकृष्ण पटेल ने 51 हजार वोटों से जीत दर्ज की।
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