जयपुर। रामदेव जयंति (Ramdev Jayanti ) है और राज्य के सभी सरकारी कार्यालयों में अवकाश है। रामदेव जी एक लोक देवता है जिनकी भारत के कई राज्यों में मान्यता है। रामदेव जी एकमात्र ऐसे हिंदू लोक देवता (Hindu Lok Devta) हैं जिनको मुस्लिम भी पूजते हैं। रामदेव जी के पास भी मुस्लिमों के 5 पीरों की समाधियां भी हैं। रामदेव जी को बाबा रामदेव, रामसा पीर, रामदेव पीर, पीरो के पीर भी कहा जाता है। लोकदेवता रामदेव जी ऊंडु काशमीर के निवासी अजमालजी के पुत्र थे। उनकी माता का नाम मैणा दे था जो एक एक पम्मा भाटी थी। रामदेव जी का विवाह अमरकोट के सोढ़ा राजपूत दलै सिंह की पुत्री निहालदे के साथ हुआ। रामदेव जी के 6 पुत्र व एक पुत्री थी। रामदेव जी की पूजा राजस्थान व गुजरात समेत देश के कई राज्यों में की जाती है। रामदेव जी की समाधि-स्थल रामदेवरा (जैसलमेर) में भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष द्वितीया से दसमी तक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में देश भर से लाखों श्रद्धालु पहुँचते हैं।
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रामदेव जी को मुस्लिम भी पूजते हैं
(Muslim worship Rajdev Ji)
आपको बता दें कि रामदेव एक हिंदू लोक देवता हैं लेकिन उन्हें मुस्लिम भी पूजते हैं। रामदेव जी को मुस्लिम लोग रामसा पीर या रामशाह पीर (Ramsa peer, Ram Shah peer) के नाम से पूजते हैं। रामदेवजी के पास जबरदस्त चमत्कारी शक्तियां थी जिनकी बदौल्त उनकी ख्याति दूर दूर तक फैल गई थी। कहा जाता है कि मक्का से 5 पीर रामदेव जी की शक्तियों को रखने के लिए आए थे। उस दौरान रामदेव जी ने उनका स्वागत किया और उनसे भोजन करने का अनुरोध किया। इस पीरों ने यह कहते हुए मना कर दिया वो सिर्फ अपने निजी बर्तनों में भोजन करते हैं और मक्का में ही रह गए। यह बात सुनकर रामदेव मुस्कुराए और कहा कि वो देखो आपके बर्तन आ रहे हैं। जब पीरों ने देखा तो उनके बर्तन मक्का से आसमान में उड़ते हुए आ रहे थे। पीरों ने रामदेवजी की शक्तियों से संतुष्ट होते हुए प्रणाम किया औार उन्हें राम शाह पीर नाम दिया। रामदेव जी की शक्तियों से प्राभावित होकर इन पांचों पीरों ने उन्हीं के साथ रहने का संकल्प ले लिया। उन पाचों पीरों की मज़ारें भी रामदेव जी की समाधि के पास में ही स्थित हैं।
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रामदेव जी को यहां पूजा जाता है (Ram Dev Ji Temples)
रामदेव सभी मनुष्यों की समान समझते थे। वो उच्च या निम्न, अमीर या गरीब में कोई भेद नहीं करते थे। उन्होंने दलितों के उत्थान के लिए खूब काम किया था। उनके मानने वाले राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, मुंबई, दिल्ली, भीलवाडा, आटुण गांव, जेसलमेर, सिंध तक में फैले हुए हैं। रामदेव जी के मंदिर भीलवाडा सहित राजस्थान के कई जिलो में स्थित हैं। रामदेव जी के अन्य मंदिर मसूरिया पहाड़ी जोधपुर, बीराटीया, ब्यावर, सुरताखेडा चितोडगढ़ और छोटा रामदेवरा गुजरात में भी स्थित हैं।
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रामदेव जी ने ली थी जीवित समाधि (Ram Dev Ji Living Tomb)
रामदेव जयंती तिथि चैत्र सुदी पंचमी को पड़ती है। रामदेवरा मंदिर में भादवा सुदी तृतीया से एकादशी तक मेले का आयोजन किया जाता है जिसको भादवा का मेला कहा जता है। इस मेले में भारत के हर कोने से लाखों हिन्दू और मुस्लिम श्रद्धालु पहुंचते हैं। आपको बता दें कि बाबा रामदेव ने विक्रम संवत 1442 में भाद्रपद शुक्ल एकादशी को राजस्थान के रामदेवरा में जीवित समाधि ली थी।
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