Ravindra Singh Bhati News : जैसलमेर के शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी अब आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। खेजड़ी और ओरण को बचाने की अपनी मुहिम को और तीव्र करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है और 18 दिसंबर को जैसलमेर में बड़ी हुंकार भरने का ऐलान किया है। यह आंदोलन अब न केवल जैसलमेर, बल्कि पूरे राजस्थान और देश में गूंजने वाला है। तो चलिए जानते हैं असल में ये माजरा क्या है?
क्या है पूरा मामला?
राजस्थान में जैसलमेर के बईया में रोहिड़ाला ओरण को बचाने की मांग को लेकर 35 दिन से धरना जारी है। 9 नवंबर से शुरू हुआ यह धरना अब एक बड़ा आंदोलन बनता जा रहा है। दरअसल, जैसलमेर के बईया गांव स्थित रोहिड़ाला ओरण क्षेत्र में अडानी सोलर प्लांट का निर्माण प्रस्तावित है। ग्रामीण चाहते हैं कि ओरण को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए और कंपनी का काम रोका जाए। विधायक रविंद्र सिंह भाटी धरने का नेतृत्व कर रहे हैं। यह क्षेत्र खेजड़ी वृक्षों और ओरण की भूमि के लिए प्रसिद्ध है। ग्रामीणों और विधायक भाटी का कहना है कि यह भूमि गौचर और धार्मिक महत्व की है, जिसे सोलर प्लांट के लिए नष्ट नहीं किया जाना चाहिए।
विधायक और ग्रामीणों का स्पष्ट कहना है कि वे विकास के विरोधी नहीं हैं, लेकिन पर्यावरण और सांस्कृतिक धरोहर को बर्बाद करके किसी भी परियोजना को लागू नहीं होने देंगे। उनका यह संघर्ष अब ओरण और खेजड़ी बचाने की लड़ाई से जुड़कर पूरे राजस्थान के लिए एक आंदोलन बन गया है।
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पीएम मोदी को लिखे पत्र में क्या कहा गया?
रविंद्र सिंह भाटी ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाते हुए मांग की है कि ओरण और खेजड़ी के वृक्षों को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए। जैसलमेर में प्रस्तावित सोलर प्लांट को ओरण भूमि से हटाकर किसी अन्य जगह स्थानांतरित किया जाए।
पर्यावरण और आदिवासी संस्कृति को बचाने के लिए सरकार ठोस कदम उठाए। उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की है कि वह व्यक्तिगत रूप से इस मामले में हस्तक्षेप करें और इस क्षेत्र की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को बचाएं।
18 दिसंबर को भरेंगे हुंकार
इस मामले को लेकर 18 दिसंबर को जैसलमेर में एक विशाल सभा आयोजित की गई है। विधायक भाटी ने इसे “ओरण बचाओ आंदोलन” का सबसे बड़ा पड़ाव बताया है। उनका कहना है कि इस दिन हजारों ग्रामीण और समर्थक जैसलमेर में इकट्ठा होकर हुंकार भरेंगे और सरकार से अपने हक की मांग करेंगे।
उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगे पूरी नहीं हुईं तो यह आंदोलन और उग्र रूप ले लेगा। भाटी ने कहा, “हम खेजड़ी और ओरण को नष्ट नहीं होने देंगे, चाहे इसके लिए कितनी ही बड़ी कुर्बानी क्यों न देनी पड़े।” इस आंदोलन का कई नेता भी समर्थन कर चुके हैं और बात भजनलाल शर्मा तक पहुंचाने की बात कह चुके हैं।
क्या कहते हैं ग्रामीण?
ग्रामीणों का कहना है कि ओरण उनकी आस्था और आजीविका का हिस्सा है। खेजड़ी का वृक्ष न केवल पर्यावरण के लिए, बल्कि राजस्थान की संस्कृति और जीवनशैली के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। ग्रामीणों ने विधायक भाटी के नेतृत्व में यह आंदोलन तेज करने का संकल्प लिया है और 18 दिसंबर को बड़ी संख्या में जैसलमेर पहुंचने की तैयारी कर रहे हैं।
क्या होगा आगे?
प्रधानमंत्री मोदी और केंद्र सरकार के लिए यह मामला अब चुनौती बनता जा रहा है। राजस्थान में यह मुद्दा राजनीतिक रूप से भी बेहद संवेदनशील है। सवाल उठता है कि क्या सरकार इस आंदोलन को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगी या फिर यह आंदोलन और व्यापक रूप ले लेगा?
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