Phalodi Satta Bazar: लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान का काउंटडाउन शुरू होने के साथ ही बीजेपी और कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। बीजेपी तीसरी बार सरकार बनने के दावों के बीच सत्तारूढ़ दल को चुनौती दे रही है तो विपक्ष इस बार मोदी सरकार को रोकने का दावा ठोक रहा है। लेकिन इस बीच देश की दूसरी बड़ी संसदीय सीट बाड़मेर-जैसलमेर (Barmer-Jaisalmer) पर इस बार मिजाज कुछ ज्यादा गर्म हो गया है। इसी वजह से इस सीट की चर्चा अब देशभर में होने लगी है और राजस्थान की सबसे हॉट सीट बनी है।
भाटी का जलवा
26 साल का नौजवान अपने बूते पर विधानसभा चुनाव जीता और अब लोकसभा चुनाव में दमखम दिखा रहा है। उसके साथ चलने वाली जनता में इतना ज्यादा उत्साह है कि घंटों तक उसके साथ रहते है और जीत का दावा करते है। इस सीट पर केंद्र में मंत्री कैलाश चौधरी मौजूदा सांसद हैं और उनके सामने चुनौती सीट बचाने की आ गई है और सीट बचाने के लिए उन्हें त्रिकोणीय मुकाबले में कांग्रेस प्रत्याशी उम्मेदाराम बेनीवाल से भी टक्कर लेनी पड़ रही है।
जातीय समीकरण
इस सीट पर जाट वोट 4 लाख, एससी-एसटी 4 लाख और मुसलमान 2 लाख है। श्री क्षत्रिय युवक संघ के संस्थापक तन सिंह ने भी इसी सीट से चुनाव जीता और जनता दल के कल्याण सिंह कालवी भी चुनाव जीत चुके हैं। इसके अलावा कांग्रेस के दिग्गज नेता रामनिवास मिर्धा भी चुनाव जीते थे लेकिन इस बार भाटी के मैदान में उतरने से पुराने दिन याद आने लगे है।
जाट और राजपूत वोटर्स काफी अहम साबित होते हैं जो निर्णायक भूमिका निभाते है।
चौधरी का भाटी से मुकाबला
केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्यमंत्री को 26 साल के विधायक भाटी से कड़ी टक्कर मिल रही है। भाटी ने जेएनवीयू में छात्र राजनीति के माध्यम से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की जो अब सांसद बनने की तरफ जा रही है। निर्दलीय होने के बाद भी उनको जीत मिली है और इस बार भी ऐसा होने का दावा किया गया है।
कांग्रेस को उम्मेदाराम से उम्मीद
कांग्रेस को आरएलपी के बागी उम्मेदाराम बेनीवाल से बड़ी उम्मीद है। आरएलपी को छोड़कर कांग्रेस में शामिल होते ही टिकट तो मिल गया लेकिन उनकी जीत भी भाटी के कारण दूर होती दिख रही है। कांग्रेस को उम्मीद है कि मेघवाल और मुस्लिम समाज का वोट मिलने के साथ उनको जीत मिल सकती है।
बीजेपी-कांग्रेस पर भारी पड़ रहे है भाटी
बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट में शामिल 8 विधानसभाओं में से 5 पर भाजपा, 1 पर कांग्रेस और 2 पर निर्दलीयों का कब्जा है। लेकिन इसके बाद भी रविंद्र सिंह भाटी की स्थिति बीजेपी और कांग्रेस से ज्यादा मजबूत दिख रही है। युवा वोटर्स को साधने के लिए भाटी पूरा प्रयास कर रहे हैं और राजपूत वोट बैंक एक तरफा होने से उनका पलड़ा भारी नजर आ रहा है।
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कैलाश चौधरी की हार का दावा
कैलाश चौधरी के लिए इस बार जीत आसान नहीं होगी क्योंकि दो मजबूत प्रतिद्वंदी की टक्कर के चलते सट्टा बाजार में उनकी हार की चर्चा होने लगी है। जाट समाज में पकड़ होने के बाद भी बेनीवाल ने सेंधमारी कर दी है। चौधरी की जीत में अब मोदी फैक्टर ही काम करेंगा नहीं तो भाटी की जीत लगभग तय कर दी है। मोदी की सभाओं के जरिए इस क्षेत्र में एक बार फिर कमल खिल सकता है, लेकिन यह आसान नहीं होगा।