Sewan Grass: पश्चिमी राजस्थान में पानी की कमी के चलते जीना बहुत मुश्किल होता है और ऐसे में इंसानों के साथ जानवारों को रखना बहुत ही कठिन काम है। लेकिन अब सरकार की तरफ से ऐसी पहल की गई है जिसमें पशुओं के लिए चारे के साथ पानी की अच्छी व्यवस्था होगी। इस इलाके में आम वनस्पति नहीं पनप पाती है और ऐसे में कुछ विशेष प्रकार की घास ही लग सकती है। ऐसे में सेवण घास पशुओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है और रेगिस्तानी इलाके में इस घास का होना पशुओं के लिए किसी पकवान से कम नहीं है।
सेवण घास का कुछ समय से उत्पादन कम हो गया था, लेकिन अब सरकार सेवण चारागाह क्षेत्र का विकास करने में जुट गई है। हाल ही में जैसलमेर के पोकरण विधानसभा के ग्राम पंचायत लाठी क्षेत्र में महानरेगा के तहत सेवण घास चारागाह का विकास किया गया है। प्रशासन के तरफ से बताया गया है कि लाठी में महानरेगा के माध्यम से सेवण घास का विकास किया गया है। लगभग 200 बीघा में सेवण घास का विस्तार किया गया है और साथ ही 500 नीम के पौधे लगाए गए हैं।
इन इलाकों में बारिश की कमी और लगातार सूखे के कारण पशुपालकों के लिए सेवण घास फायदेमंद होती है। सेवण घास का वैज्ञानिक नाम लैसियुरस सिडिकस है, जो जल्दी सूखती नहीं है। यह रेगिस्तान में पशुओं का मुख्य आहार रहा है और पशुधन के लिए सबसे पौष्टिक है। लेकिन इसकी उपलब्धता दुर्लभ होती जा रही है और इसी वजह से इसको लेकर यह योजना बनाई गई है।
सेवण घास 5 से 6 साल तक नहीं सूखती है। प्रोटीन और विटामिन का अच्छा माध्यम है जो पुशओं के लिए बहुत ही कारगर है। पशुपालक इसे सुखाकर लंबे समय तक भंडारण कर सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल घरों में झोपड़ियां बनाने के लिए किया जाता है क्योंकि यह जल्दी खराब नहीं होती है और मौसम के हिसाब से ठंडी व गर्म रहती हैं।
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