जयपुर। शिवराज सिंह सांखला राजस्थान में एक ऐसा नाम है जिसके बारे में जानकर हर कोई हैरान रह जाता है। उनकी उम्र 31 वर्ष है। शिवराज को 2 साल की उम्र में पोलियो हो गया था। पोलियों की वजह से कारण कमर के नीचे के शरीर ने काम करना बंद कर दिया। 80 फीसदी विकलांग होने के बावजूद शिवराज सिंह ने हौसला नहीं खोया। आज शिवराज अपने 'पैरों' पर खड़े हैं। वह सचिवालय में एलडीसी के पद पर नौकरी कर रहे हैं। शिवराज गुरुवार 25 अप्रैल को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिले तो मुख्यमंत्री आनंदित हो उठे। उन्होंने शिवराज के साथ ली गई फोटो को अपने सोशल मीडिया पेज पर पोस्ट करते हुए लिखा कि अपनी खुशी जाहिर करने के लिए कोई उनसे मिलने आए, एक जन सेवक के लिए इससे बड़ा सुकून और क्या हो सकता है।
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500 रुपए प्रतिमाह पेंशन ने बदली किस्मत
आपको बता दें कि राजस्थान के नागौर जिले के मेड़ता शहर निवासी शिवराज सिंह ने बचपन में कई मुश्किलों से मुकाबला किया। गरीब माता पिता ने मजदूरी करके शिवराज और उनके दोनों बड़े भाइयों को पाला। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने पूर्व कार्यकाल वर्ष 2009 में अलग अलग श्रेणियों की पेंशन योजना शुरू की थी। विकलांग होने के कारण शिवराज सिंह ने भी आवेदन किया तो शिवराज को 500 रुपए प्रतिमाह पेंशन मिलने लगी। शिवराज के पिता नेमीचंद सांखला का निधन हो गया तो शिवराज की मां निर्मला देवी ने भी विधवा पेंशन योजना के तहत आवेदन किया। निर्मला को भी हर महीने 500 रुपए मिलने लगे। एक हजार रुपए प्रतिमाह मिलने पर शिवराज के परिवार को गुजारे के लिए सहारा मिल गया।
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पेंशन के पैसे बचाकर खरीदा स्कूटर
शिवराज ने प्रत्येक महीने मिलने वाली पेंशन के 500 रुपए में से 400 रुपए बचाकर स्कूटी खरीदी। स्कूटी की वजह से उनका आवागमन आसान हो गया। पढ़ाई के साथ शिवराज की खेल में रुचि थी। भले ही शिवराज के शरीर का आधा हिस्सा काम नहीं कर रहा था लेकिन उसकी बाजू में काफी ताकत थी। स्कूली दिनों में ही उसने वेट लिफ्टिंग (भारोत्तोलन) शुरू की। स्कूल और कॉलेज के वह वेट लिफ्टिंग कॉम्पिटिशन में मेडल जीतने लगा। वर्ष 2019 में जयपुर से सवाई मानसिंह स्टेडियम में खेले गए स्टेट लेवल कॉम्पिटिशन में शिवराज सांखला ने 100 किलोग्राम भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीता था।
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वेट लिफ्टिंग और शूटिंग में जीता गोल्ड
आपको बता दें कि स्कूल और कॉलेज के दिनों में शिवराज सिंह ने वेट लिफ्टिंग की थी। राजकीय महाविद्यालय मेड़ता शहर में बीए करने के बाद वर्ष 2016 में शिवराज ने अजमेर के पृथ्वीराज चौहान राजकीय कॉलेज में राजनीति विज्ञान में एमए किया। इस दौरान उसने शूटिंग में हाथ आजमाना शुरू किया। जब निशाना सटीक लगने लगा तो शिवराज ने शूटिंग में मेहनत शुरू की। मध्यप्रदेश में हुई तीसरी नेशनल पैरा शूटिंग चैम्पियनशिप 50 मीटर पिस्टल शूटिंग में शिवराज सांखला ने गोल्ड मेडल जीता।
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सरकार ने खिलाड़ी कोटे में दी नौकरी
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले साल मेडल जीतने वाले उत्कृष्ट खिलाड़ियों को आउट ऑफ टर्न नौकरी देने का ऐलान किया था। प्रदेश के करीब 400 से ज्यादा खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी दी जा चुकी है। शिवराज सिंह सांखला को भी सचिवालय में एलडीसी के पद पर नियुक्ति मिली। सरकारी नौकरी लगने के बाद शिवराज का जीवन बदल गया है। शिवराज के दोनों बड़े भाई मेड़ता में ही कलर पेंटिंग का काम करते हैं। शिवराज का कहना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पेंशन योजना से पहले उसके परिवार को सहारा मिला। मुख्यमंत्री की वजह से ही अब उसे सरकारी नौकरी मिली है। मुख्यमंत्री का आभार जताने के लिए शिवराज 25 अप्रैल को मुख्यमंत्री निवास पर जाकर सीएम अशोक गहलोत से मिला। इस दौरान गहलोत ने कहा कि उन्हें भी शिवराज से मिलकर बड़ा सुकून मिला।