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भगवान श्रीराम का वंशज है टोंक के फुलेता ठिकाने का नरूका राजवंश

जयपुर। हजारों वर्षों के संघर्ष के बाद अयोध्या के भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर में रामलला विराजने वाले है इसी कड़ी में भगवान श्रीराम के वंशजों के बारे में ऐतिहासिक खोज खबर जारी है। सभी तरह के ऐतिहासिक दस्तावेज खंगाले जा रहे है ऐसे में पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाली बढ़वा पोथी,हरिद्वार के पण्डो की पोथिया व जयपुर के सिटी पैलेस स्थित ऐतिहासिक पोथी खाने से यह प्रमाणित होता है कि सूर्यवंशी कच्छवाहा राजवंश के राजपूत भगवान श्रीराम के बड़े पुत्र कुश के वंशज है इसी कड़ी में टोंक जिला के फुलेता ठिकाने के राजपूत भी सूर्यवंशी कच्छवाहा राजवंश की नरूका शाखा से सम्बन्धित है जो कि भगवान श्रीराम के वंशज (Shri Ram Ke Vansaj) है। फुलेता ठिकाने के इतिहासकार, शिक्षाविद डॉ.योगेन्द्र सिंह नरूका बताते है कि वो स्वयं भगवान श्रीराम की 310 वीं पीढ़ी से आते है। 

 

राजस्थान के इन जिलों में बसे हैं श्रीराम के वंशज

डॉ. नरूका बताते है कि फुलेता ठिकाने के अलावा जयपुर,अलवर, उनियारा,लावा,लदाणा,डिग्गी,सीकर आदि के सूर्यवंशी राजपूत कच्छवाहा, नरूका, शेखावत, खंगारोत, राजावत, नाथावत आदि सभी भगवान श्रीराम के वंशज है इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर,अमेठी का राजवंश भी भगवान श्रीराम का वंशज है। सिटी पैलेस के पोथीखाना में रखे 9 दस्तावेज और 2 नक्शे साबित करते हैं कि अयोध्या के जयसिंहपुरा और राम जन्मस्थान सवाई जयसिंह द्वितीय के अधीन थे। प्रसिद्ध इतिहासकार आर नाथ की किताब द जयसिंहपुरा ऑफ सवाई राजा जयसिंह एट अयोध्या के एनेक्सचर-2 के मुताबिक अयोध्या के रामजन्म स्थल मंदिर पर जयपुर के कच्छवाहा वंश का अधिकार था।

 

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सिटी पैलेस के पोथीखाना है विवरण

1776 में नवाब वजीर असफ- उद- दौला ने राजा भवानी सिंह को पत्र के माध्यम से कहा था कि अयोध्या और इलाहबाद स्थित जयसिंहपुरा में कोई दखल नहीं दिया जाएगा। ये जमीनें हमेशा कच्छवाहा के अधिकार में रहेंगी। औरंगजेब की मृत्यु के बाद सवाई जयसिंह द्वितीय ने हिंदू धार्मिक इलाकों में बड़ी-बड़ी जमीन खरीदीं। 1717 से 1725 में अयोध्या में राम जन्मस्थान मंदिर बनवाया था। इतिहासकारों के मुताबिक जयपुर की बसावट के पहले जौहरी बाजार में रामलला जी का मंदिर बनवाया गया। इसका नाम रामलला जी का रास्ता रखा गया। वहीं, सिटी पैलेस में सीतारामद्वारा में पहुंचकर जयपुर के महाराजा सबसे पहले दर्शन करते थे। युद्ध और राजा की सवारी में सीताराम जी का रथ सबसे आगे होता था।

 

सरकारी परवानों लिखा जाता रहा श्री सीतारामो जयति

जयपुर रियासत के सरकारी परवानों पर श्री सीतारामो जयति लिखा जाता रहा। जयपुर को 9 चौकड़ी में बसाया गया। इसमें एक चौकड़ी का नाम रामचंद्र जी की चौकड़ी रखा गया। चांदपोल बाजार और हवामहल बाजार में भव्य राममंदिर बनाए गए। इसी तरह, सवाई जयसिंह ने भगवान राम के समान जयपुर में स्थापना के वक्त राजसूर्य, अध्वमेध यज्ञ भी करवाए। इसी परिपाटी को फुलेता के नरूका राजपूतों ने भी निभाया व फुलेता ठिकाने में सीताराम जी का मंदिर, हनुमान मंदिर आदि स्थापित किए। 

 

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विश्व भर में फैले है भगवान श्रीराम के वंशज

भगवान श्रीराम के छोटे पुत्र लव ने ही लाहौर की स्थापना की थी जो आजकल पाकिस्तान में है तथा मेवाड़ का ऐतिहासिक सिसोदिया राजवंश स्वयं को लव के वंशज के रूप में मानता है। विश्व की सबसे जांबाज सैन्य रेजिमेंट माने जानी वाली भारत की राजपूताना राइफल्स में भी भगवान श्रीराम के वंशजो का दबदबा रहने के कारण ही उनका सिंहनाद राजा रामचन्द्र की जय बना इसी तरह फुलेता ठिकाने का अभिवादन घोष जय सीताराम जी की है। विश्व भर में फैले भगवान श्रीराम के वंशज और उन्हे मानने वाले अयोध्या में रामलला के भव्य दर्शन को आतुर है।

Anil Jangid

Anil Jangid डिजिटल कंटेट क्रिएटर के तौर पर 13 साल से अधिक समय का अनुभव रखते हैं। 10 साल से ज्यादा समय डिजिटल कंटेंट क्रिएटर के तौर राजस्थान पत्रिका, 3 साल से ज्यादा cardekho.com में दे चुके हैं। अब Morningnewsindia.com और Morningnewsindia.in के लिए डिजिटल विभाग संभाल रहे हैं।

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