Shyam Pandiya Dham: कुलधरा और भानगढ़ जैसे गांवों के लिए प्रसिद्ध राजस्थान में अनगिनत रहस्य और रोमांच छिपे हैं। ऐसी ही एक कहानी चूरु जिले की भी है, जहां एक गांव में सिर्फ एक आदमी ही रहता है। उस आदमी के रहने के पीछे भी एक खास वजह है।
राजस्थान के चूरू जिले में तारानगर क्षेत्र में नेठवा नाम का एक गांव है। आश्चर्यजनक रूप से गांव में 521 बीघा जमीन सरकारी जमीन है जिस पर ग्राम पंचायत का अधिकार है। यह पूरी भूमि पशुओं के चरने के लिए काम आती है। केवल डेढ़ बीघा जमीन को रिहायशी भूमि या आबादी भूमि के रूप में छोड़ा गया है। केवल इसी भूमि को आबादी बसाने के लिए काम लिया जा सकता है। वर्ष 2011 में हुई जनगणना में यह आश्चर्यजनक तथ्य सामने आया कि यहां पर केवल एक व्यक्ति ही रहता है।
नेठवा ग्राम पंचायत के अधीन आने वाली इस डेढ़ बीघा जमीन पर भी एक मंदिर बना हुआ है। यह मंदिर गांव के बीचोबीच बने 300 फुट ऊंचे एक टीले पर बना हुआ है। इस मंदिर को श्याम पांडिया धाम भी कहा जाता है। इसी के नाम से गांव का नाम सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है।
गांव में बने श्याम पांडिया धाम मंदिर का सीधा संबंध महाभारत से बताया जाता है। किंवदंतियों के अनुसार महाभारत के समय इस गांव में श्याम पांडिया जमींदार थे और तपस्या करते थे। वह महाभारत युद्ध में पांडवों की ओर से युद्ध लड़ने गए परन्तु जब उन्हें पता लगा कि भाईयों में ही युद्ध हो रहा है तो वह वापिस आ गए।
महाभारत युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद पांडवों ने अश्वमेघ यज्ञ किया जिसमें भीम को श्याम पांडिया को लाने भेजा गया। उन्होंने एक साधारण कृषक के रूप में देख कर भीम को सहज ही विश्वास नहीं हुआ। इस पर श्याम पांडिया ने स्नान कर अपनी धोती हवा में उछाल दी जो बिना किसी सहारे हवा में सूखने लगी और बाद में अपने आप सिमट कर नीचे आ गई।
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उनका चमत्कार देख भीम को उन पर विश्वास हो गया। उन्होंने श्याम पांडिया से कहा कि आप मेरे साथ चलो। इस पर उन्होंने भीम को कहा कि आपसे पहले मैं पहुंच जाऊंगा, आप यहां से निकलो। कहा जाता है कि जब भीम अश्वमेघ यज्ञ स्थल पर पहुंचे तो श्याम पांडिया वहां पर पहले से विराजमान थे और उनकी तरफ देखकर मुस्कुरा रहे थे।
उस समय वहां पर पानी की कमी थी जिस पर भीम ने अपने घुटने से प्रहार कर यहां पर एक तालाब का निर्माण कर दिया था। इसे भीम बावड़ी कहा जाता है। आज भी इस मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले लोग इस तालाब के भी दर्शन अवश्य करते हैं।
श्याम पांडिया की स्मृति में ही यहां पर मंदिर का निर्माण किया गया है जिसे श्याम पांडिया धाम कहा जाता है। गांव के इस एकमात्र मंदिर में प्रत्येक वर्ष भाद्रपद महीने की अमावस्या को मेला भरता है जिसमें आसपास के सैकड़ों ग्रामीण आते हैं।
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इस मंदिर में एक पुजारी की नियुक्ति ग्राम पंचायत द्वारा की जाती है। केवल वही व्यक्ति इस पूरे गांव में रहता है। पहले यहां पर पुजारी के रूप में राजेश गिरी थे जो अकेले ही पूरे गांव में रहते थे। उनकी मृत्यु के बाद ज्ञानदास को मंदिर में पूजा-पाठ का कार्य सौंपा गया है। वर्तमान में वही अकेले इस गांव में रहते हैं।
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