राजस्थान में विधानसभा चुनाव संपन्न हो गया है और भजनलाल सरकार ने अपना काम शुरू कर दिया है। इस बीच एक बार फिर राजस्थान का विधानसभा भवन (Rajasthan Vidhan Sabha) लोगों के लिए चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि देश के सबसे नए विधानसभाओं में से एक Rajasthan Vidhan Sabha पर ऐसा कलंक लगा है जो अब शायद खत्म हो सकता है। नेताओं के साथ आम जनता मे लोग इसे भूतहा भवन भी मानते हैं, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि यह भवन श्मशान घाट की जमीन पर बना है तो यह शापित है। आइए जानते हैं राजस्थान की विधानसभा को लेकर किसी प्रकार का अंधविश्वास फैला हुआ है…
जब से यह भवन तैयार हुआ है तब से लेकर आज तक इसमें कभी भी पूरे 200 विधायक एक साथ नहीं बैठे हैं। जब भी ऐसा मौका आता है तो तब-तब कुछ न कुछ अनहोनी घटना होती है जिसके चलते विधायकों की संख्या घट जाती है। इस बार के चुनाव में भी कुल 200 सीटों में से 199 विधानसभा सीटों पर ही चुनाव हुए और रिजल्ट जारी किए गए। श्रीगंगानगर जिले के करणपुर विधानसभा सीट से विधायक और Congress candidate Gurmeet Singh Kunnar के निधन की वजह से चुनाव नहीं हो पाया। लेकिन अब इस सीट पर चुनाव हो चुका है और प्रदेश को 200 नए विधयक मिल चुके है और अब इंतजार है कि सभी 200 विधायक एक साथ बैठकर इस अंधविश्वास को खत्म करेंगे।
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यह बात किसी से छुपी नहीं है कि पिछले 3 विधानसभा चुनावों की बात करें तो हर बार 199 सीटों पर चुनाव होता है। क्योंकि एक सीट पर किसी उम्मीदवार की मौत हो जाती है और इस बार भी ऐसा हुआ है। 2018 में रामगढ़ से BSP प्रत्याशी लक्ष्मण के निधन होने के बाद इस सीट पर मतदान नहीं हुआ था। 2013 में चुरू से BSP प्रत्याशी जगदीश मेघवाल की निधन होने से इस सीट पर चुनाव नहीं हुआ था। लगातार हो रही इस घटना को कुछ लोग संयोग मानते हैं और कुछ भूत-प्रेत से जोड़कर इसकी चर्चा करते हैं। कई विधायक भी विधानसभा को शापित मानते हैं और इसके कारण विधानसभा में इसको लेकर हवन भी किया जा चुका है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जाता है कि rajasthan assembly की बिल्डिंग जिस जमीन पर बनी है, वहां किसी समय श्मशान हुआ करता था। बताया जाता है कि स्थानिय लोग यहां इस जगह बच्चों के शव दफना थे। विधानसभा भवन में उनकी आत्मा भटकती है और श्मशान का एक हिस्सा वर्तमान में भी विधानसभा की सीमा से लगा हुआ है। लाल कोठी श्मशान नाम से इसको जाना जाता है। इस डर के चलते विधायक विधानभवन की शुद्धि के लिए यज्ञ की मांग कर चुके हैं।
साल 2001 में जब इस भवन का उद्घाटन को लेकर तत्कालीन राष्ट्रपति KR नारायण को बुलाया गया था, लेकिन उद्घाटन समारोह से ठीक पहले ही राष्ट्रपति बीमार पड़ गए और इस कारण वे उद्घाटन नहीं आ सके और बिना उद्घाटन के लिए नया भवन शुरू हो गया। इस घटना को अपशगुन से जोड़ा जाता है क्योंकि कई लोगों को कहना है कि जिन किसानों की जमीन लेकर यह भवन बना है, उन्हें आज तक मुआवजा राशि नहीं दी गई और उनका श्राप लगा हुआ है। कई किसानों की जीविका हमेशा के लिए छिन गई थी और आज भी वह लोग परेशान है तो ऐसे में विधानसभा की हालात ऐसी है।
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नए विधानसभा भवन के शापित होने की बात 2001 से शुरू हुई। इसके बाद से नए भवन 200 विधायक एक साथ कभी नहीं बैठ पाए। विधायक रहते हुए किसी विधायक की मौत भी हो गई और उसको किसी राज्य का राज्यपाल बना दिया गया। पिछले साल MLA Bhanwarlal Sharmaके निधन के बाद भी शापि होने की बात सामने आई थी। पूर्व विधायक हबीबुर्रहमान ने कहा था कि राजस्थान विधानसभा का नया भवन ‘शापित’ है और इसमें भूतों का साया है। तब तक इसका समाधान नहीं होगा भवन में 200 विधायकों की संख्या पूरी नहीं होगी।
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