प्रदेश में छात्रसंघ चुनावों पर रोक लगाने से छात्रों में आक्रोश है। राज्य सरकार के इस फैसले से हजारों छात्रनेताओं की उम्मीदों पर पानी फिर गया। अब छात्रों ने इलेक्शन रोकने के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। छात्रों का कहना है कि छात्रसंघ चुनाव लोकतंत्र की पहली सीढ़ी है। छात्रों का अधिकार उनसे छीना जा रहा है। छात्रों का यह हक है और उस पर रोक नहीं लगाई जा सकती।
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सरकार की ओर से केविएट दाखिल
वहीं राज्य सरकार की ओर से छात्रों की याचिका के साथ केविएट दाखिल की गई है। इसका अर्थ है कि याचिका की सुनवाई से पहले सरकार का पक्ष सुना जाएगा। जब भी हाईकोर्ट छात्रों की याचिका सुनेगा तो फैसला करने से पहले सरकार का पक्ष जरुर सुना जाएगा। वहीं स्टूडेंट्स की ओर से याचिका दाखिल करने वाले एडवोकेट शांतनु पारीक का कहना है कि ऐसी कोई विशेष परिस्थितियां ही नहीं है जिसकी वजह से चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए।
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धनबल और भुजबल का खुलकर प्रयोग
उच्च शिक्षा शिक्षा विभाग द्वारा छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगाए जाने के आदेश को याचिका के जरिए चुनौती दी गई है। 12 अगस्त को कई सारे मुद्दों पर चर्चा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई थी जिसमें सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने हिस्सा लिया। इस दौरान कुलपतियों ने छात्रसंघ चुनावों में धनबल और भुजबल का खुलकर प्रयोग करने और लिंगदोह समिति की सिफारिशों का उल्लघंन होने की स्थिति स्पष्ट की। इसी के साथ कुलपतियों ने छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने की राय भी दी। सभी की राय को देखते हुए राज्य सरकार ने छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने के आदेश जारी किए।
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