राजस्थान में मौजूदा सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करके कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है। इससे राजस्थान के लाखों कर्मचारियों को फायदा मिलेगा। यह स्कीम सेवारत और रिटायर कर्मचारियों दोनों तरह के कर्मचारियों पर लागू होगी। मुख्यमंत्री ने 10 फरवरी को बजट पेश करते हुए पुरानी पेंशन योजना का ऐलान किया था। मौजूदा सरकार के इस अंतिम बजट को पेश करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य में बोर्ड और निगमों के कर्मियों के लिए भी पुरानी पेंशन योजना (OPS) बहाल होगी।
केंद्र सरकार ने इस ओपीएस की घोषणा होने से लेकर अब तक हमेशा विरोध किया। यहां तक की केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित कई अधिकारियों ने तो पुरानी पेंशन स्कीम को देश की अर्थव्यवस्था के लिए खतरा तक बता दिया था। लेकिन अब गहलोत का यह फैसला सही साबित होता नजर आ रहा है। धीरे-धीरे बीजेपी भी इस स्कीम को बारीकी से समझने की कोशिश करने लगी है।
कर्नाटक से राजस्थान स्टडी करने आएगी सरकार
जैसे-जैसे चुनाव पास आने लगते है सरकार एक्शन मोड में आ जाती है और जनता को खुश करने का हरदम प्रयास करने लगती है। कई ऐसे मुद्दे होते है जिन पर सरकारें आपस में बहस करना शुरू कर देती है तो जिनके बल पर वे जनता को अपने पक्ष में कर सके। इस समय बीजेपी भी कुछ ऐसे ही माहौल में है।
गहलोत के ओपीएस के फैसले से नाखुश रहने वाली सरकार अब खुद इससे जुड़ाव करना चाहती है। दरअसल कर्नाटक में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में बीजेपी पुरानी ओपीएस को पर सोचने को मजबूर है। वर्तमान में कर्नाटक में बीजेपी की सरकार है। इस स्कीम को समझने के लिए बीजेपी ने एक कमेटी का गठन किया है। जल्द ही यह कमेटी राजस्थान में ओल्ड पेंशन स्कीम को समझने के लिए आएगी।
आपको बता दें कि कांग्रेस ने गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों में ओपीएस को बड़ा मुद्दा बनाया था। जिसका फायदा सरकार को हिमाचल प्रदेश के चुनावों में मिला। पांच राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना को वापस अपना लिया है।