जयपुर। Teej Ki Sawari : राजस्थान एक ऐसा राज्य है जो अपने गौरवशाली इतिहास के साथ ही तीज-त्योहारों के लिए भी पूरी दुनिया में मशहूर है। क्योंकि इस प्रदेश में हर दिन खास होता है और आए दिन कोई न कोई त्योंहार आता रहता है। ऐसे में अब आने वाला 7 अगस्त का दिन बेहद खास है क्योंकि इस दिन हरियाली तीज (Hariyali Teej) मनाई जा रही है। इस दिन सुहागन महिलाएं व्रत रखकर पति के लंबी उम्र की कामना करती हैं। हरियाली तीज पर राजस्थान में जयपुर में तीज माता की सवारी (Teej Mata Ki Sawari) निकलती है जो बहुत ही फेमस होती है। लेकिन आपको बता दें कि जयपुर के अलावा बूंदी में भी कजली तीज (Bundi Kajali Teej) मनाई जाती है। जयपुर और बूंदी की तीज की एक अनोखी कहानी (Teej Ki Kahani) भी है जो बहुत ही कम लोगों को पता है। दरअसल, जयपुर की तीज को बूंदी के राजा लूट कर लेकर आए थे। जी हां, तो आइए जानते हें कि ऐसा क्यों हुआ…
जयपुर में हरियाली तीज की तरह ही बूंदी में कजली तीज का मेला (Teej Ka Mela) लगता है। कहावत है कि रियासत में बूंदी का गोठड़ा के दरबार बलवंत सिंह जयपुर की कजली तीज को लूट लाए थे। एक बार राजा के मित्र के कहने पर जयपुर में तीज की भव्य सवारी निकालने की बात हुई थी। इस दौरान यह भी कहा गया कि जयपुर की तरह ही बूंदी में भी ऐसा ही कुछ आयोजन होना चाहिए। यह बात राजा बलवंत सिंह को पसंद आ गई और जयपुर की उसी तीज को लूट लाने का मन बना लिया।
उस समय जब जयपुर में तीज की सवारी (Jaipur Ki Teej Chori) निकल रही थी, तब बलवंत सिंह ने आक्रमण कर दिया और तीज को लूटकर बूंदी ले गए। इसके 15 दिन बाद बूंदी में कजली तीज की सवारी राजशाही ठाठ बाट के साथ से निकाली जाने लगी। उस समय से बूंदी में कई सालों से कजली तीज का त्योहार मनाया जाता आ रहा है।
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उस समय जयपुर के आमेर के किले से तीज की सवारी निकाली जाती थी। इसमें सबसे खास बात ये है कि तीज की वो मूर्ति सोने की थी और उसकी को लूट कर राजा बूंदी ले जाया गया था। इसके बाद जयपुर में तीज माता की बहरूपी सवारी निकाली जाने लगी। उस समय लोग कहने लगे कि तीज माता की बूंदी में असली और जयपुर में नकली की सवारी निकलती है। पहले राज दरबार की तरफ से बूंदी की तीज की सवारी निकलती थी, लेकिन लोकतंत्र आने के बाद इसका आयोजन स्थानीय नगर निकाय द्वारा किया जाने लगा।
तीज की सवारी (Teej Ki Sawari) के दिन जयपुर में मेला भी लगता है, हालांकि यह सिर्फ एक दिन का होता है। वहीं, बूंदी में कजली तीज माता का 15 दिवसीय मेला लगता है जिसमें देश-प्रदेश से व्यापारी और कारीगर अपनी दुकानें लगाते हैं। तीज मेले के दौरान बूंदी में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है जिनमें विभिन्न कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देते हैं।
तीज एक ऐसा त्योहार है जो भीषण गर्मी के बाद मानसून के स्वागत के तौर पर भी आता है। आखातीज और हरियाली तीज की तरह ही कजली तीज के लिए विशेष तैयारी की जाती है। इसी दिन देवी पार्वती की पूजा की जाती है। 108 जन्म लेने के बाद देवी पार्वती भगवान शिव से विवाह करने में सफल हुईं। इस दिन को निस्वार्थ प्रेम के सम्मान के रूप में मनाया जाता है। यह निस्वार्थं भक्ति थी जिसने भगवान शिव को अंततः देवी पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इसलिए महिलाएं इस दिन को खास मानते हुए व्रत रखती है और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है।
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