कोटा। कोटा शहर मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोचिंग का गढ़ माना जाता है। कोटा में बढ़ती आत्महत्याएं बताती है कैसे सुनहरे भविष्य की दौड़ में जिंदगियां दम तोड़ रही है। कोटा शहर हमेशा से सुर्खियों में रहा है। इस शहर ने कई लोगों के हसीन सपनों को पंख लगाए तो कई जिंदगीयों के हसीन सपनों ने दम तोड़ दिए। राजस्थान ही नहीं बनसपत पूरे भारत से विधार्थी यहां आखों में सुनहरे भविष्य के सपने लेकर आते है। पढ़ाई का तनाव कुछ विधार्थी सह नहीं पाते जिसके कारण मौत को गले लगा लेते है।
कोटा शहर में सफलता का स्ट्राइक 30 फ़ीसदी से ऊपर होता है। पर कोटा का एक सच बेहद भयावह है। यहां एक बड़ा आकड़ा ऐसा भी है जो असफ़लता का है। और इसमें भी कूछ ऐसे है जो अपनी नाकामी बर्दाशत नहीं कर पाते है। कोटा शहर अब धीरे-धीरे आत्महत्याओं का गढ़ बनता जा रहा है। कोटा में हाल ही की बात करे तो लगातार कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें कई विधार्थीयों ने आत्महत्या कर ली। कोटा में जिस तेजी से कोचिंग संस्थान बढ़ रहे है उसी तेजी से आत्महत्याओं के मामलों में भी तेजी आ रही है।
यहा छात्र को अपनी पढ़ाई के साथ- साथ अपने मनोरंजन की गतिविधियों के लिए कोई समय नहीं मिलता जिसके कारण वह तनाव से बाहर नहीं आ पाते। और तनाव अधिक हावी होने लगता है। कोटा शहर की अर्थव्यवस्था की बात करें तो यहा की एक तिहाई आबादी कोचिंग से जुड़ी हैं। अब ऐसे में कोचिंग सिटी से सुसाइड सिटी में बदलता कोटा सभी में खोफ पैदा कर रहा हैं।