पचपन युवा कलाकारों ने जीवंत किए फिगरेटिव कला के कई रंग
कला गुरू पद्मश्री रामगोपाल विजयवर्गीय की बीसवीं पुण्य तिथि पर आयोजित हुआ तीन दिवसीय आयोजन
पद्मश्री रामगोपाल विजयवर्गीय म्यूजियम जल महल के पास स्थित की ओर से शहर में उनकी बीसवीं पुण्य तिथि के मौके पर तीन दिवसीय आर्ट कैंप का आयोजन हुआ। तीन दिवसीय कैंप में शहर के पचपन युवा चित्रकारों ने तीन दिन तक फिगरेटिव कला के विविध रूपों का चित्रण किया। इस चित्रण में कलाकार शीला पुरोहित ने कपड़े और पेपरमैशी के मिश्रण से रामगोपाल विजयवर्गीय का जिस अंदाज में जीवंत चित्रण किया उसकी जमकर सराहना हुई। शीला को इसके लिए पांच हजार रूपए के नकद पुरस्कार से नवाजा गया। दिव्य सुथार को तीन हजार का द्वितीय तथा विपुल दाधीच को दो हजार रूपए का तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया।
इसके अलावा शोभा विजयवर्गीय और नीतू सिंह को एक-एक हजार रूपए के विशेष पुरस्कार से नवाजा गया। इस मौके पर कैंप में बनी कलाकृतियों की प्रदर्शनी भी आयोजित की गई। विजेताओं को कमल विजयवर्गीय, लोकेश कुमार सिंह साहिल, रमेश खत्री, अशोक सुमन और वरिष्ठ पत्रकार व चित्रकार विनोद भारद्वाज ने पुरस्कृत किया।
रामगोपाल विजयवर्गीय एक संक्षिप्त परिचय
पद्मश्री से सम्मानित कला गुरू रामगोपाल विजयवर्गीय का जन्म ग्राम बालेर में 1905 में हुआ था। यथार्थवादी चित्रकला के क्षेत्र में उन्होंने अपनी अलग ही शैली स्थापित कर खासी पहचान कायम की थी। वो एक अच्छे कवि और लेखक भी थे। उन्होंने अपने जीवन में बहुत से ग्रंथों पर चित्र बनाए थे, उनका सबसे चर्चित विषय मेघदूत रहा। मेघदूत कालिदास रचित एक दूत काव्य है जिसमें यक्ष और यक्षिणी की प्रेम कहानी है। इसे वे मेघों को अपना दूत बनाकर संदेश भेजा करते थे। विजयवर्गीय के चित्रों ने इन पात्रों को जीवंत कर दिया और इनकी सुंदरता आज भी देखते ही बनती है।
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