- L1 पॉइंट पर हवा को मापेगा पेलोड
- उदयपुर की सौर वेधशाला का इतिहास
उदयपुर। चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के बाद भारत सौर मिशन आदित्य एल-1 (aditya L-1) लॉन्च करके एक कदम आगे बढ़ गया है। इतने बड़े प्रोजेक्ट को लॉन्च करने में किसी एक व्यक्ति का योगदान नहीं होता बल्कि पूरी टीम के दिन-रात की मेहनत होती है। इसी के तहत आदित्य एल-1 प्रोजेक्ट में उदयपुर का भी अहम योगदान रहा है। उदयपुर की सौर वेधशाला इस प्रोजेक्ट के लिए महत्वपूर्ण रही। धरती की सतह से 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य के एल-1 पॉइंट पर पहुंचकर आदित्य न सिर्फ स्टडी करेगा, बल्कि इसकी सफल के बाद भारत एक ओर इतिहास रचेगा।
यह भी पढ़े: Aditya L1 Mission: कितने दिनों में सूर्य तक पहुंचेगा भारत का अंतरिक्ष यान? जानें किस तरह करेगा काम
L1 पॉइंट पर हवा को मापेगा पेलोड
उदयपुर के वैज्ञानिकों ने आदित्य एल-1 सौर मिशन के लिए पेलोड बनाए है। इस प्रोजेक्ट में उदयपुर की सोलर ओबेजर्वेशन प्रयोगशाला में कार्यरत वैज्ञानिक प्रो. भुवन जोशी और डॉ. रमित भट्टाचार्य की टीम का योगदान रहा है। आदित्य-L1 में कुल 7 पेलोड लगाए गए। जो कि एल-1 पॉइंट पर हवा को मापने में उपयोगी होंगे। ये पेलोड उदयपुर (udaipur news) की 48 साल पुरानी हाईटेक सौर वेधशाला में बनाए गए हैं।
यह भी पढ़े: Aditya L1 Mission: क्या है लैग्रेंजियन बिंदु? जहां पर उतरेगा भारत का Aditya L1 अंतरिक्ष यान
उदयपुर की सौर वेधशाला का इतिहास
वेधशाला का निर्माण 1976 में डॉ. अरविंद भटनागर द्वारा दक्षिणी कैलिफोर्निया में बिग बीयर झील में सौर वेधशाला के मॉडल के आधार पर किया गया था। बाद में, 1983 में डॉ. अशोक अंबष्ठ और उसके बाद विभिन्न चरणों में कई अन्य लोग उनके साथ जुड़ गए, जिन्होंने इस वेधशाला के विकास में योगदान देना जारी रखा है।
सौर मिशन की लॉन्चिंग के दौरान उदयपुर के विद्या भवन सीनियर सेकेंडरी स्कूल में वैज्ञानिक प्रोफेसर भुवन जोशी और रमित भट्टाचार्य का पुष्प वर्षा के साथ स्वागत हुआ। स्कूल के स्टूडेंट्स वैज्ञानिकों को अपने बीच देखकर काफी खुश नजर आए।