Dausa by-election : दौसा। राजस्थान में इस साल के अंत में होने वाले उपचुनाव को लेकर सभी पार्टियां एक्टिव हो गई है। प्रदेश में 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने है, जिनमें से दौसा विधानसभा सीट भी शामिल है। बता दें कि यह सीट मीणा और गुर्जर बाहुल्य है। इस सीट से कांग्रेस के कई दावेदार है। यहां आलाकमान कांग्रेस का टिकट सचिन पायलट और दौसा सांसद मुरारी लाल मीणा की सुझबूझ से देंगे। क्योंकि यहां मीणा और गुर्जर वोट बैंक ही किसी भी उम्मीदवार की हार जीत का फैसला करते है। हालांकि दौसा उपचुनाव में कांग्रेस किसको टिकट देगी। इसका फैसला तो आलाकमान ही करेंगे। आइए जानते है क्या है पूरा मामला?
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दौसा में सविता मीणा करेंगी बड़ा खेला
बता दें कि लोकसभा चुनाव में मुरारीलाल मीणा ने भाजपा प्रत्याशी कन्हैयालाल मीणा को 2 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। जिसके बाद से दौसा विधानसभा सीट खाली हो गई थी। अब राजस्थान में नवंबर 2024 में उपचुनाव होने वाले है। ऐसे में कांग्रेस किसको टिकट देगी। जो दौसा से कांग्रेस को धमाकेदार जीत दिला सके। हालांकि दौसा से कांग्रेस को यह सीट जीतना इतना आसान भी नहीं है, क्योंकि यहां बीजेपी नेता किरोड़ी लाल मीणा का भी प्रभाव है। कांग्रेस पार्टी दौसा विधानसभा क्षेत्र से पूर्व लोकसभा उम्मीदवार सविता मीणा को टिकट दे सकती है। क्योंकि दौसा क्षेत्र में सविता मीणा का नाम जाना पहचाना है और वो वर्तमान में दौसा सांसद मुरारी लाल मीणा की पत्नी है। जिसके चलते पार्टी उनके नाम पर मुहर लगा सकती है, क्योंकि दौसा क्षेत्र में मुरारी लाल मीणा की अच्छी-खासी पकड़ है। जिसके चलते कांग्रेस मुरारी लाल मीणा की पत्नी सविता मीणा पर बड़ा दांव खेल सकती है।
इस वजह से कांग्रेस निकाल सकती है दौसा की सीट?
अगर दौसा उपचुनाव में कांग्रेस का टिकट सविता मीणा को मिलता है, तो कांग्रेस के लिए यह सीट निकालना आसान हो जायेगी। क्योंकि मुरारी लाल मीणा सचिन पायलट के बहुत करीबी माने जाते है। जिसकी वजह से गुर्जर वोट बैंक कांग्रेस की तरफ झुक सकता है और कांग्रेस यहां से बड़ी जीत दर्ज कर सकती है। वहीं इस सीट पर कांग्रेस की तरफ से नरेश मीणा भी टिकट के दावेदार माने जा रहे है। हालांकि यह तो वक्त ही बताएंगा कि पार्टी किसको टिकट देती है। वहीं किरोड़ी लाल मीणा भी दौसा विधानसभा सीट से अपने पसंदीदा उम्मीदवार को मैदान में उतार सकती है। बता दें कि लोकसभा चुनाव में भी किरोड़ी लाल मीणा ने कन्हैयालाल मीणा को बीजेपी का टिकट दिलाया था और इस सीट को जीताने की गारंटी ली थी। लेकिन कन्हैयालाल मीणा यहां से हार गए थे, जिसके बाद किरोड़ी लाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
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