जयपुर। आज 12 June को World Day Against Child Labour मनाया जा रहा है, जिसको मनाने के पीछे का उद्देश्य बाल मजदूरी पर रोक लगाना है। बाल मजदूरी रोकने के लेकर भारत समेत दुनिया के अलग—अलग देशों में कई तरह के कानून बनाए गए हैं। भारत में तय उम्र से पहले काम कराने को बाल श्रम माना जाता है जिसके तहत 14 साल की उम्र से कम के बच्चों से मजदूरी कराने पर पाबंदी है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार राज्य 6 से 14 साल तक के बच्चे के लिए शिक्षा के लिए सभी आधारिक संरचना और संसाधन उपलब्ध कराएंगे। इसके साथ ही अनुच्छेद 24, 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी फैक्ट्री या कारखाने में काम करने पर प्रतिबंध है। लेकिन, राजस्थान की राजधानी जयपुर की बात करें तो यहां बाल मजदूरी के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं।
जयपुर में दिन ही नहीं बल्कि रात को भी बाल मजदूरी के कई मामले सामने आते रहते हैं। रात के समय कचरा बीनने वाले गिरोह के लोग 14 साल से कम उम्र के बच्चों को अपने साथ लेकर उनके प्लास्टिक, कांच की बातलें, रबर, लकड़ी, कागज आदि चीजें बीनने का काम करवाते हैं। कचरा बीनने वाले गिरोह के लोग स्वयं बाइक से बनी अवैध ट्रॉली पर सवार होते हैं जबकि नाबालिग बच्चों से कचरा बीनने का काम करवाते हैं।
जयपुर में जगतपुरा क्षेत्र राजधानी की सबसे प्राइम लोकेशन बनता जा रहा है, लेकिन यहां पर मजदूरी करते हुए कई बच्चे आपको नजर आ जाएंगे। थड़ियों से लेकर चौराहें पर सामान बेचने के अलावा यहां पर नाबालिग बच्चे रात को भी कचरा बीनने काम करते देखे जा सकते हैं। जगतपुरा पुलिया से लेकर 7 नंबर चौराहे तक नाबालिग बच्चे नैपकिन, खिलौने बेचने, गाड़ियों के शीशे साफ करने से लेकर भीख मांगने व बाल मजदूरी करने जैसे काम करते हुए दिखाई देते हैं। हालांकि, शासन और प्रशासन की तरफ से इन पर ध्यान दिया जाए तो कुछ सुधार हो सकता है।
बाल श्रम को लेकर भारत में 1948 में फैक्ट्री एक्ट बनाया गया था जो 14 साल से कम उम्र के बच्चों को कारखाने में काम करने से रोकता है। 15 से 18 साल तक के किशोर किसी कारखाने में तभी काम कर सकते हैं जब उनके पास फिटनेस सार्टिफिकेट मौजूद हो। साथ ही खदान अधिनियम 1986, 18 साल से कम उम्र वाले बच्चों को खदानों में काम करने से प्रतिबंधित करता है। वर्ष 2016 में बालश्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम 1986 में कुछ संसोधन किए गए और बालश्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम 2016 लागू किया गया। यह अधिनियम आने के बाद किसी भी तरह के काम को 14 साल से कम उम्र के बच्चे से कराने को गैर कानूनी करार दिया गया है।
भारत में अब 14 साल के कम उम्र के बच्चे से काम कराने पर 2 साल की जेल की सजा का प्रावधान है। इसके साथ ही 50 हजार रूपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। इसके अलावा यह कानून तब भी लागू होता है, जब 14 से 18 साल तक के बच्चों के जीवन को जोखिम में डालने वाला काम कराया जाता हो।
भारत में 14 से 18 साल के बच्चों को रोजगार दिया जाता है तो कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। यदि 14 से 18 साल के बच्चों के काम करने का समय निश्चित नहीं है और काम के लिए रजिस्टर नहीं बनाया गया अथवा उनकी स्वास्थ और सुरक्षा का ध्यान नहीं रखा गया तो 3 महीने की सजा से लेकर 10 से 20 हजार रूपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। हालांकि, इस मामले में पहली बार पकड़े जाने पर सिर्फ जुर्माना लगता है परंतु बार-बार पकड़े जाने पर जेल की सजा भी हो सकती है।
माता-पिता के साथ सामान बेचने को लेकर एक मामला केरल हाईकोर्ट में पहुंचा था जिसमें एक बच्चा अपने माता-पिता के साथ काम कर रहा था। इसको लेकर कोर्ट ने कहा था कि जो बच्चे सामान बेचने में अपने माता—पिता की मदद करते हैं, उन्हें बाल श्रम के अंतर्गत नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि बच्चों को अपने पेरेंट्स के साथ सड़कों पर घूमने की अनुमति देने के बजाय शिक्षित करें।
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