जयपुर। Child Labour : भारत एक ऐसा विकासशील राष्ट्र है जहां दुनिया की सबसे ज्यादा जनसंख्या निवास करती है। यहां पर एक तरफ अमीरों की संख्या बड़ी तेजी से बढ़ रही है तो दूसरी तरफ कुछ गरीब और अधिक गरीब होते जा रहे हैं। ऐसे में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपनी गरीबी की वजह से अपने परिवार में मौजूद बच्चें से मजदूरी करवाने से लेकर भीख मंगवाने जैसे कार्य कर रहे हैं जो कि गैरकानूनी है। जी हां, भारत में बाल श्रम करवाना कानून अपराध है जिसके तहत आप 14 साल की आयु से कम के बच्चों से मजदूरी नहीं करवा सकते है। यदि ऐसा करते हुए पाए जाते हैं तो जेल और जुर्माना दोनों तरह की सजाओं का प्रावधान है।
बाल मजदूरी का बढ़ता जा रहा चलन
भारत में बाल मजदूरी यानि Child Labour करने वाले कई बच्चों को हर साल रेस्क्यू किया जाता है। राजस्थान के जयपुर की बात करें तो यहां पर जनवरी 2024 में NGO की मदद से पुलिस ने बाल मजदूरी का बड़ा खुलासा किया था। यहां पर कुल 22 बच्चों को रिस्क्यू करवाया गया था जिनमें शामिल बच्चों की उम्र 9 से 16 साल थी। इन बच्चों को आरोपी शहनवाज उर्फ गुड्डू 500-500 रुपए एडवांस देकर लाया था। हालांकि, इसके अलावा आमतौर पर किराने की दुकान, चाय की दुकान, होटल, ढाबे पर 10 से 12 साल के छोटे बच्चों का काम करते हुए देखा जा सकता है जो कि अपराध है।
बाल श्रम को लेकर ये है कानून
भारत में तय उम्र से पहले काम कराने को बाल श्रम माना जाता है। देश में 14 साल की उम्र से कम के बच्चों से मजदूरी कराने पर पाबंदी है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार राज्य 6 से 14 साल तक के बच्चे के लिए शिक्षा के लिए सभी आधारिक संरचना और संसाधन उपलब्ध कराएंगे। इसके साथ ही अनुच्छेद 24, 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी फैक्ट्री या कारखाने में काम करने पर प्रतिबंध है।
14 साल से कम उम्र के बच्चे से नहीं करवा सकते काम
बाल श्रम को लेकर भारत में 1948 में फैक्ट्री एक्ट बनाया गया था जो 14 साल से कम उम्र के बच्चों को कारखाने में काम करने से रोकता है। 15 से 18 साल तक के किशोर किसी कारखाने में तभी काम कर सकते हैं जब उनके पास फिटनेस सार्टिफिकेट मौजूद हो। साथ ही खदान अधिनियम 1986, 18 साल से कम उम्र वाले बच्चों को खदानों में काम करने से प्रतिबंधित करता है। वर्ष 2016 में बालश्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम 1986 में कुछ संसोधन किए गए और बालश्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम 2016 लागू किया गया। यह अधिनियम आने के बाद किसी भी तरह के काम को 14 साल से कम उम्र के बच्चे से कराने को गैर कानूनी करार दिया गया है।
बाल श्रम कराने पर इतनी मिलती है सजा
भारत में अब 14 साल के कम उम्र के बच्चे से काम कराने पर 2 साल की जेल की सजा का प्रावधान है। इसके साथ ही 50 हजार रूपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। इसके अलावा यह कानून तब भी लागू होता है, जब 14 से 18 साल तक के बच्चों के जीवन को जोखिम में डालने वाला काम कराया जाता हो।
14 से 18 साल के बच्चों से काम कराने को लेकर नियम
भारत में 14 से 18 साल के बच्चों को रोजगार दिया जाता है तो कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। यदि 14 से 18 साल के बच्चों के काम करने का समय निश्चित नहीं है और काम के लिए रजिस्टर नहीं बनाया गया अथवा उनकी स्वास्थ और सुरक्षा का ध्यान नहीं रखा गया तो 3 महीने की सजा से लेकर 10 से 20 हजार रूपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। हालांकि, इस मामले में पहली बार पकड़े जाने पर सिर्फ जुर्माना लगता है परंतु बार-बार पकड़े जाने पर जेल की सजा भी हो सकती है।
सामान बेचने में माता—पिता की मदद करने पर प्रावधान
माता-पिता के साथ सामान बेचने को लेकर एक मामला केरल हाईकोर्ट में पहुंचा था जिसमें एक बच्चा अपने माता-पिता के साथ काम कर रहा था। इसको लेकर कोर्ट ने कहा था कि जो बच्चे सामान बेचने में अपने माता—पिता की मदद करते हैं, उन्हें बाल श्रम के अंतर्गत नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि बच्चों को अपने पेरेंट्स के साथ सड़कों पर घूमने की अनुमति देने के बजाय शिक्षित करें।
बच्चों का यहां काम करना नहीं माना जाता बाल श्रम
आपको बता दें कि यदि कोई बच्चा फिल्म, विज्ञापन और टीवी इंडस्ट्री में काम करता है तो उसें बाल श्रम नहीं माना जाता है चाहे उसकी उम्र कितनी भी हो। इसके अलावा कुछ अन्य ऐसे काम भी हैं जिन्हें बाल श्रम कानून से बाहर रखा गया है। जैसे कि स्कूल से छूटने या गर्मियों की छुट्टियों में 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चे फैमिली बिजनेस में सहायता कर सकते हैं। लेकिन साथ ही यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि इससे उन बच्चों की पढ़ाई पर असर नहीं पड़े। इसमें एक शर्त यह भी है वो फैमिली बिजनेस ज्वलनशील या विस्फोटक पदार्थ से संबंधित नहीं होना चाहिए। इसके अलावा 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चे करीबी रिश्तेदार के यहां भी काम कर सकते हैं।
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