Hridayansh Save: स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉपी जैसी बीमारी से पीड़ित हृदयांश भी अब आम लोगों की तरह जिंदगी जी सकेगा। ऐसा हम नहीं डॉक्टर का दावा है क्योंकि एक लंबे इंतजार के बाद उसे दुनिया का सबसे महंगा इंजेक्शन जोलगेनेस्मा लगने जा रहा है। जेके लोन अस्पताल में इंजेक्शन आ चुका है। हृदयांश के चाचा स्वप्निल ने बताया कि इंजेक्शन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी ने भी हृदयांश के इलाज में काफी मदद की है।
उन्होंने इंजेक्शन की 17.5 करोड़ रुपए की राशि को चार किश्तों में जमा कराने के लिए कहा है। अब तक क्राउड फंडिंग से जमा हुए 9 करोड़ रुपए से इंजेक्शन की पहली किश्त जमा करा दी है और बाकी राशि को तीन किश्तों में जमा करवा दी जाएगीं
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पहले होगा प्री-टेस्ट
अमेरिका से लाया गया जोलगेनेस्मा इंजेक्शन जेके लॉन हॉस्पिटल में पहुंच गया है। हृदयांश के प्री-टेस्ट और पेपर वर्क कंप्लीट होने के बाद इसका इस्तेमाल किया जाएगा। स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी एक जेनेटिक बीमारी है और इसके कारण हृदयांश का कमर से नीचे का हिस्सा बिल्कुल भी काम नहीं करता है। इस बीमारी का इलाज 24 महीने की उम्र तक ही किया जाता है। इस बीमारी का समय पर इलाज नहीं हाेने पर जान का भी खतरा हाेता है।
आम बच्चों की तरह खेलेगा
हृदयांश को इंजेक्शन लगने के बाद उसको बड़ा फायदा होगा। इसके बाद वह 24 घंटे डॉक्टर्स की निगरानी में रहेगा और दो महीने तक बच्चे के दवाईयां चलेगी। लेकिन इसके बाद फिर बच्चा आम लोगों की तरह खेल सकेगा।
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