जयपुर। एक नायक…एक इंसान..अभिनय की दुनिया की अमिट छाप…अभिनय उसकी मेहनत की देन…आवाज उसे ऊपर वाले ने बख्शी…कुछ कहे बिना भी सब कुछ कहने वाली उसकी आंखें….दिखने में साधारण…काम में असाधारण…हिन्दुस्तान की जमीं हो या विदेशी….सभी जगह उसने अपना परचम फहराया…उसके लिए जाति-मजहब मायने नहीं रखता था…वो इंसानियत को धर्म मानता था….वो अपनों को इस मुकाम पर पहुंचने के बाद भी कभी नहीं भूला…जयपुर में पला बड़ा हुआ…पतंगबाजी का बेहद शौकीन…उसकी कोशिश रहती थी वो कहीं भी रहे, लेकिन 14 जनवरी (मकार संक्रान्ति) को जयपुर जाकर पतंग उड़ाने का शौक पूरा करता था। छत पर खड़े होकर लम्बे पेच लड़ाना, कटने या कटवाने पर भी जश्न मनाना। जयपुर के पुराने हिस्से में पैदा होकर वहीं से लेकर बालीवुड की दुनिया में कदम रखा। उसने हमेशा दोस्त बनाएं, दुश्मनों के लिए उसके लिए में कोई जगह नहीं थी।
दुनिया को बता दिया कि इरफान खान क्या शख्स
पान सिंह तोमर मूवी ने तो दुनिया को बता दिया कि इरफान खान क्या शख्स है। इरफान के दिमाग में जवानी में उसके दोस्तों ने भऱ दिया कि वो मिथुन चक्रवती जैसा दिखता है, बस फिर क्या था, नाई की दुकान पर जाकर अपने बालों को वैसे ही कटवा लिया, लेकिन इरफान के बाल मिथुन की तरह साफ्ट नहीं होने के कारण वो अलग ही तरह के हो जाते थे, करने क्या जाते थे औऱ हो क्या जाते थे। इरफान से जीव हत्या नहीं होती थी, एक बार वो अपने पिता के साथ शिकार पर गए, वहां बंदूक की गोली से एक बेजुबां मारा गया, उसके बाद वो बहुत दुखी हुए औऱ सदा के लिए इससे दूर हो गए। इरफान को समझना आसान नहीं, वो नेकनीयत वाला इंसान था। आज इरफान हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वो हमेशा अपनी एक्टिंग के जरिए हमारे साथ होगा। इतना बीमार होने के बाद वो हारा नहीं, बीमारी से लड़ते रहे, आखिरी तक जीत कर आने का भरोसा भी दिलाते रहे। वो मौत को हराकर आए भी लेकिन खुदा को कुछ औऱ ही मंजूर था। हिन्दुस्तान सकुशल आने के बाद उन्हें संक्रमण ने अपने चपेट में ले लिया ऱमजान में उनका इंतकाल हो गया।
महिलाओं की बहुत इज्जत किया करते थे
इरफान महिलाओं की बहुत इज्जत किया करते थे औऱ उम्मीद करते थे, सभी को ऐसा करना चाहिए। वो कहते थे कि हर पुरूष में एक स्त्री होती है और हर स्त्री में एक पुरूष होता है। पुरूष अपने अंदर की स्त्री को पहचाने, उसे महसूस करे तो उसे अहसास होगा कि स्त्री क्या है, इसके बाद उसका स्त्री के प्रति दृष्टिकोण बदल जाएगा। ठीक इसी प्रकार एक स्त्री में पुरूष होता है,, वो उसे महसूस करे, उसके साथ जिए तो उसे पता चलेगा पुरूष वैसे नहीं होते, जैसी उनके लिए धारणा बना ली जाती है। इरफान की यह सोच बहुत गूढ़ता लिए हुए है, उसे हर कोई समझ जाए तो ना तो निर्भया जैसे कांड होंगे ना ही एसिड अटैक की घटनाएं। ना ही मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार औऱ फिर हत्याएं।
आखिरी बार बात करने की कोशिश
अपनी आखिरी फिल्म अंग्रेजी मीडियम के प्रमोशन के दौरान उन्होंने अपने चाहने वालों से वीडियो संदेश के जरिए आखिरी बार बात करने की कोशिश की थी, जिसमें कहा था, श्हैलो भाइयों-बहनों, नमस्कार, मैं इरफान। मैं आज आपके साथ हूं भी और नहीं भी। खैर यह फिल्म श्अंग्रेजी मीडियमश् मेरे लिए बहुत ही खास है। सच, यकीन मानिए मेरी दिली ख्वाहिश थी कि इस फिल्म को उतने ही प्यार से प्रमोट करूं जितने प्यार में हमने बनाया है लेकिन मेरे शरीर के अंदर कुछ अनचाहे मेहमान बैठे हुए हैं, उनसे वार्तालाप चल रहा है। देखते हैं किस करवट ऊंट बैठता है। जैसा भी होगा आपको जानकारी दे दी जाएगी।श् इरफान ने आखिरी बार सदा के लिए मौन रहकर खुद को खुदा को सौंप दिया।
– डा. उरुक्रम शर्मा
(Dr. Urukram Sharma)
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