डा. उरुक्रम शर्मा (Dr Urukram Sharma)
जयपुर. लोकसभा चुनाव से पहले देश का अंतरिम बजट पेश हो गया। इस बजट ने कई सवाल खड़े कर दिए और कई हकीकत भी बयां कर दी। पहला सवाल यह है कि चुनावी साल में लोक लुभावन बजट पेश नहीं करने का जोखिम आखिर नरेन्द्र मोदी सरकार के किस भरोसे से उठाया? वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किस विश्वास के साथ कहा कि जुलाई में पूरा बजट हमारी सरकार ही पेश करेगी? राजनीति में इस तरह का मामला पहली बार देखने को मिला है, जब चुनावी साल में जनता के लिए कोई लुभावनी घोषणा नहीं करके देश के समूचे विकास की अवधारणा को सामने रखा गया. वरना चुनाव से पहले के दो बजट तो पूरी तरह से मतदाताओं को प्रलोभन वाली घोषणाओं के ही होते हैं। सरकार ने टैक्स स्लैब में कोई परिवर्तन नहीं करके बड़ा क्रांतिकारी जोखिम उठाया है।
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आखिर सरकार को इतना भरोसा कैसे आया कि तीसरी बार नरेन्द्र मोदी की सरकार ही देश की सत्ता संभालेंगी। विषय विशेषज्ञों का मानना है कि भाजपा की नरेन्द्र मोदी सरकार ने जनता में विश्वास हासिल किया है, इसी जनविश्वास के भरोसे पूरे आत्मविश्वास के साथ डटे हुए हैं। यानि पहले के दो शासन में सरकार ने जो कुछ कहा, उसे समय से पहले करके दिखाया। जिन योजनाओं का शिलान्यास किया, उनका लोकार्पण भी इसी सरकार ने किया। चाहे देश की नई संसद की बात हो, मुंबई में नए समुद्री पुल का निर्माण हो, देश में चारों ओर सड़कों का निर्माण, नई रेलों का संचालन आदि आदि अनगिनत काम। गरीबों को उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त रसोई गैस का इंतजाम करना हो या फिर महिलाओं के शौच के लिए घरों में इज्जत घर का निर्माण करना हो। पिछले 10 साल में 3 करोड़ बेघरों के लिए पक्के घर देने की बात हो। नोटबंदी के समय समूचा विपक्ष कराह रहा था, लेकिन केन्द्र की सरकार जरा सी भी विचलित नजर नहीं आई। तमाम तरह के आरोप लगाए गए, परन्तु उनकी परवाह किए बगैर डिजिटललाइजेशन को मजबूत करने में जुटी रही। कोरोना जैसी आपदा में इसी डिजिटललाइजेशन ने अहम रोल अदा किया। कोरोना में जिस तरह से स्वदेशी वैक्सीन का इस्तेमाल करके ना केवल भारत के लोगों के जीवन को बचाने का काम किया, बल्कि बड़ी संख्या में दूसरे देशों को देकर वहां की जनता की जान बचाने में विशेष भूमिका निभाई।
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धारा 370 खत्म करके कश्मीर को खुली सांस लेने का अवसर दिया। वहां आतंकवाद और उसके पनाहगारों को जड़ से खत्म करने में जांबाजी का परिचय दिया। जिस लाल चौक पर तिरंगा फहराना असंभव लगता था, उसे संभव करने का काम किया। कश्मीर की खून से सनी घाटी में फिर केसर की महक आने लगी। मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से मुक्ति दिलाने में क्रांतिकारी फैसला करना किसी अजूबे से कम नहीं था। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भारतवासियों के लिए नामुमकिन सा लगता था, क्योंकि दूसरी राजनीतिक पार्टियां आराध्य राम को काल्पनिक बताकर अदालत तक में शपथ पत्र पेश कर चुकी थी। नरेन्द्र मोदी की दृढ इच्छा शक्ति और संकल्प की देन ही है कि देश के सनातनियों के प्रभु राम लला टैंट से निकलकर भव्य महल में बिराजमान हो पाए। जनता का इतना विश्वास हो गया कि मोदी ने कुछ कहा है तो वो मोदी की गारंटी है। यानी काम होने का 100 फीसदी विश्वास। तमाम विपक्षी पार्टियों के जातिवाद में देश को बांटने के सपनों को चकनाचूर करने काम किया। लोगों में विश्वास जगा कि जातियों में बंटकर रहने और राजनीतिक दलों के टूल बने रहने से कभी ना खुद की ना देश की तरक्की हो सकती है। मीणा, गुर्जर, यादव आदि आदि जातियों की जगह मोदी ने चार नई जातियों को जन्म दिया। गरीब, महिला, किसान और युवा। इन्हीं को फोकस करते हुए अंतरिम बजट में प्रावधान भी किए गए। विपक्ष के जातिगत कार्ड को पूरी तरह हवा कर दिया गया।
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इन सबके साथ ही सबसे अहम विपक्ष का बिखरा होना। बिखरे विपक्ष ने भाजपा व नरेन्द्र मोदी को जबरदस्त ताकत दी है। विपक्ष ने मोदी को मात देने के लिए तीस से ज्यादा दलों को महागठबंधन तैयार किया। विभिन्न विचारधारों के महागठबंधन की पतवार कौन संभालेगा, इस पर ही सबकी आम राय नहीं बन सकी। सीटों का बंटवारा तो दूर की बात है। बात कुछ आगे बढ़ती, इससे पहले ही बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी ने कांग्रेस से हाथ मिलाने से मना कर दिया। ममता कांग्रेस को मौजूदा दो सीटें देने की पक्षधर थी, जिसे कांग्रेस स्वीकार नहीं कर रही थी। ऐसे में ममता ने सभी सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान करके गठबंधन को करारा झटका दे दिया। उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी सिर्फ 11 सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ने के लिए तैयार हुई, स्थानीय कांग्रेस इससे सहमत नहीं हुई और अंतिम फैसला नहीं हो सका। पंजाब में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के लिए एक भी सीट नहीं छोड़ने का फैसला किया। बिहार में नीतिश कुमार की जदयू तो इस गठबंधन से ही अलग होकर मोदी के साथ मिल गई।
देश की जहां बात करते हैं, वहीं विदेशों में भारत की शान बढ़ाने में मोदी ने कोई कसर नहीं छोड़ी। अमेरिका, चीन, रूस जैसे शक्तिशाली देश भी भारत का लोहा मानने लगे हैं। सैन्य दृष्टि से भारत विश्व की चौथी शक्ति बन पाया है। आर्थिक दृष्टि से दुनिया की पांच बड़ी ताकतों में भारत अपना स्थान बना पाया है। जो दुनिया कल तक भारत को तवज्जो नहीं देती थी, वो अब भारत की राय के बगैर कोई स्टेप उठाने की हिम्मत नहीं रखती है। भारत को जी-20 का अध्यक्ष बनाना और देश में सम्मेलन होना भारत की कूटनीति की बड़ी जीत है। लोग यह मानने लगे हैं कि पिछले 10 साल में भारत बदला है, नया भारत बना है। भारतीय वीजा की साख बढ़ी है। भारत अपनी शर्तों पर दुनिया के देशों के साथ कारोबार करता है। यही कुछ ऐसे प्रमुख बिन्दु हैं, जिनके आधार पर नरेन्द्र मोदी सरकार को पूरा विश्वास है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी देश में फिर सरकार बनाएगी। यही आत्मविश्वास पेश किए गए अंतरिम बजट में देखने को मिला।
साभार… www.morningnewsindia.in
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