ओपिनियन

एलिवेटेड रोड़, फ्लाई ओवर, ओवरब्रिज के हसीन सपने, बशर्ते समय पर पूरा हों

डॉ. उरुक्रम शर्मा
जयपुर। बरसों बाद जयपुर के अच्छे दिन आने के आसार हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत ने अपने शासन काल में जयपुर की सुध ली थी। इसके बाद नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने कांग्रेस काल में सिर्फ कोटा की सुध ली। जयपुर को नाम मात्र की टीकी लगाई गई, जबकि जयपुर राजधानी है। अब भजनलाल सरकार ने 65 लाख की आबादी वाली राजधानी की सुध ली है। ले भी क्यों नहीं? आखिर उनका और उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी का निर्वाचन क्षेत्र जयपुर ही है। सवाल यह है कि क्या जयपुर निर्वाचन क्षेत्र होना ही विकास की शुरूआत करना है? देर आए, दुरुस्त आए पर आए तो सही।

जयपुर के बदहाल ट्रैफिक से काफी हद तक राहत मिल सकेगी, ऐसी अगले पांच साल में उम्मीद की जा सकती है। एलिवेटेड रोड, फ्लाई ओवर और ओवरब्रिज की बातें तो बरसों से की जाती रही, लेकिन कभी इस पर अमल नहीं हुआ। सिविल लाइंस फाटक पर कभी एलिवेटेड तो कभी अंडर पास बनाने की बात हुई, लेकिन वो कागजों में ही बन कर रह गई।

अब भजनलाल सरकार ने इस बजट में 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा की एलिवेटेड रोड, फ्लाई ओवर और ओवरब्रिज बनाने की घोषणा की है। साथ ही विश्वास दिलाया है कि 2025 में इनका शिलान्यास कर दिया जाएगा। काम गति से और संकल्प के साथ शुरू किया गया तो अगले तीन साल में ही जयपुर मेट्रो सिटीज के रूप में नजर आने लगेगा। कहीं ट्रैफिक जाम के कारण घंटों बर्बाद नहीं होंगे और दुर्घटनाओं का खतरा भी काफी कम हो जाएगा। तीन एलिवेटेड रोड पर साढ़े 1500 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च होगा। आरओबी व फ्लाई ओवर पर 506 करोड़ तथा सेक्टर रोड़ पर 75 करोड़ रुपए खर्च होंगे। टोंक रोड को फागी रोड से जोड़ने के लिए 30 किलोमीटर लंबी लिंक रोड बनाई जाएगी।

प्रश्न यह है कि कितनी ही सड़कें, फ्लाई ओवर या अंडर पास बना लिए जाएं, लेकिन जब तक इनमें ड्रेनेज सिस्टम सड़क बनने से पहले नियमों के अनुसार नहीं बनाया गया तो सारा पैसा मिट्टी में मिल जाएगा।। इंडियन रोड कांग्रेस के प्रारूपों के अनुसार निर्माण नहीं होने पर पूरा शहर आज बर्बाद है। हर साल बारिश में डामर की सड़कें टूट जाती है, बड़े बड़े गड्ढे बन जाते हैं। जिन्हें सही करने के लिए हर साल करोड़ों रुपए की आहुति दी जाती है। जयपुर की कोई भी ऐसी सड़क नहीं है, जहां नियमों के अनुसार सीवरेज लाइन डाली गई है। सड़क के बिल्कुल किनारे पर सीवर लाइन और पानी की लाइन निर्धारित दूरी पर डालने का प्रावधान है, लेकिन सभी सड़कों के बीच में यह लाइन डाली जाती है। सीवर का ढक्कन सड़क से ऊंचा होता है, जो कि गलत ही नहीं है, बल्कि दुर्घटनाओं का खुला आमंत्रण भी है। ताजा उदाहरण देखें तो पांच्यावाला से लेकर बिंदायका तक, गांधी पथ वेस्ट से लेकर आखिरी तक अंडरग्राउंड सीवर व पानी की लाइन बिल्कुल सड़क के बीच में डाली जा रही है। सड़कों का ड्रेनेज का कोई सिस्टम तैयार नहीं किया गया है।

पानी और डामर में दुश्मनी है। सड़क पर जरा सा भी पानी एकत्र होगा तो वहां सड़क टूट जाएगी। यह बात सारे इंजीनियर और ठेकेदार जानते हैं, परन्तु इस ओर ध्यान सिर्फ इसलिए नहीं दिया जाता है कि सड़क टूटेगी तो उसे ठीक करने में करोड़ों रुपए खर्च होंगे, जो कि उनकी कमाई का साधन बनेंगे। अब सरकार ने एलिवेटेड रोड, फ्लाई ओवर और ओवरब्रिज बनाने का ऐलान किया है किन्तु समय पर पूरा हो पाएंगे, इसका पर प्रश्न चिन्ह है। जयपुर में अब तक जितने भी फ्लाईओवर, ओवर ब्रिज और अंडर पास बने हैं, वो कोई भी नियत समय पर पूरे नहीं हुए। झोटवाड़ा ओवरब्रिज के निर्माण में तो एक दशक से ज्यादा लग गए, जिससे लागत दुगुनी होने के साथ जनता की परेशानी हुई, वो अलग है। वसुंधरा राजे के समय ट्रांसपोर्ट नगर अंडरपास, फ्लाईओवर, टनल, अजमेर रोड एलिवेटेड रोड, टोंक फाटक क्षेत्र के रेलवे अंडरपास का निर्माण समय पर हुआ तो जनता को पूरा फायदा मिला।

सरकार को इन सब कामों की निगरानी के लिए विषय विशेषज्ञों की एक टीम बनानी चाहिए। जो डिजाइन बनने पर उसकी पूरी जांच करें। हर स्तर तक के काम की अवधि और जिम्मेदारी तय करे। क्वालिटी कंट्रोल के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की एजेंसी की सेवाएं ली जाए। निर्माण पूरी तरह से रोड कांग्रेस के मानकों के अनुसार किया जाए। सरकार इस पर दखल देने के बजाय इन्हें नियत समय में काम पूरा करवाने की जिम्मेदारी दे। ताकि समय से क्वालिटी वाला काम हो सके। सरकार इनके निर्माण को लेकर पूरी तरह से सरकारी विभागों पर निर्भर नहीं रहें, बल्कि इन्हें भी एजेंसी के अधीन ही किया जाए। चूंकि जयपुर हेरिटेज सिटी है, यहां लाखों टूरिस्ट हर साल आते हैं। निर्माण में जयपुर के स्थापत्य शैली का समावेश करने पर जयपुर की खूबसूरती को खुद ही चार चांद लग जाएंगे।

Anil Jangid

Anil Jangid डिजिटल कंटेट क्रिएटर के तौर पर 13 साल से अधिक समय का अनुभव रखते हैं। 10 साल से ज्यादा समय डिजिटल कंटेंट क्रिएटर के तौर राजस्थान पत्रिका, 3 साल से ज्यादा cardekho.com में दे चुके हैं। अब Morningnewsindia.com और Morningnewsindia.in के लिए डिजिटल विभाग संभाल रहे हैं।

Recent Posts

किसान भाई ने उगाया 1200 किलो का कद्दू! जानिए खेती की ये जादुई तकनीक

Pumpkin News : अक्सर देखा जाता है कि किसान भाई गर्मीयों की शुरूआत में बाड़ी…

20 घंटे ago

किसान भाई एकबार खरीद लें ये धांसू फोन!​ जिंदगीभर खराब नहीं होगा

जयपुर। अक्सर देखा जाता है कि किसान भाईयों के पास मोबाइल फोन बहुत जल्दी खराब…

2 दिन ago

The Secret Behind Saumic Craft Success in Helping Artisans!

India is known for handmade crafts. Our artisans make beautiful items with their hands, keeping…

4 दिन ago

Saumic Craft: Helping India to Start ₹0 Investment Businesses

In today’s time, everyone wants to do their own business. But the biggest problem is…

4 दिन ago

विश्व स्वास्थ्य दिवस पर रखे अपने दिल के स्वास्थ्य का ख्याल

World Health Day : विश्व स्वास्थ्य दिवस हर साल 7 अप्रैल को मनाया जाता है…

4 दिन ago

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने सराहे पीएमश्री स्कूल राहोली के शैक्षणिक नवाचार

टोंक। विगत तीन वर्षों से अपने शैक्षणिक नवाचारों से चर्चित राहोली के पीएमश्री राजकीय उच्च…

7 दिन ago