-अबकी बार 400 पार या बाहर
-मोदी के मनोवैज्ञानिक युद्ध का तोड़ नहीं
-चुनाव मोदी बनाम समूचा विपक्ष
-मोदी की गारंटी के कई हैं मायने
डा. उरुक्रम शर्मा
नरेन्द्र मोदी एक शख्सियत है, जिसने देश को एक नई दिशा दी है और समस्त दुनिया में भारत का परचम लहराया है। 23 साल से सत्ता की कमान संभालने वाले (13 साल गुजरात के मुख्यमंत्री, शेष प्रधानमंत्री) मोदी ने इस अवधि में अपने काम से ना तो कोई छुट्टी ली ना ही अपनी लीडरशिप में भारत को आंख नीचे करने का कोई अवसर दिया। इतना ही नहीं बल्कि देश में व्याप्त भ्रष्टाचार पर आक्रामक रूख अपनाने से तमाम विपक्ष के निशाने पर सीधे तौर पर आ गए। इससे ना वो विचलित हुए ना ही घबराए बल्कि अपने मिशन को और तेज कर दिया।
मनोवैज्ञानिक युद्ध है मोदी का….
लोकसभा चुनाव की रैलियों में लगातार अपनी इस प्रतिबद्धता को जोर शोर से कहते हैं। विपक्ष को राजनीतिक पटखनी देने के लिए उन्होंने मनोवैज्ञानिक युद्ध को तरजीह दी, ताकि उन्हें हत्तोसाहित किया जा सके। इस नीति में वे सफल भी रहे और दो बार देश के प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला। अब तीसरी बार भी वे इसी नीति पर चल रहे हैं। उन्होंने अब की बार 400 पार का नारा देकर विपक्ष की नींद उड़ा दी। लगातार इसी नारे को प्रचारित करने से हर किसी की जुबान पर यह ला दिया कि तीसरी बार मोदी सरकार।
मोदी बनाम विपक्ष….
राजनीतिक कुशलता में उनका कोई सानी नहीं है। शरद पवार, लालू प्रसाद यादव, राहुल गांधी, सोनिया गांधी, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, अरविन्द केजरीवाल समेत तमाम पार्टियों एक होकर मोदी का मुकाबला कर रही है। उनका मकसद सीधे तौर पर किसी भी तरह से मोदी को सत्ता में आने से रोकना है। उनका सीधा प्रहार है कि मोदी के रहते देश में लोकतंत्र खत्म हो जाएगा, तानाशाही पूरी तरह लागू हो जाएगी। वो जीत गए तो 2024 का चुनाव अंतिम चुनाव होगा। विपक्ष मतदाताओं को यही बताने का प्रयास कर रहा है। लेकिन जनता पर कोई खासा फर्क देखने को नहीं मिल रहा है। मोदी साफ तौर पर कहते हैं कि मोदी जो कहता है, वो करता है। यही मोदी की गारंटी है। मोदी की गारंटी के पीछे लोगों को भरोसा दिलाना होता है कि यह काम तो होकर ही रहेगा। कश्मीर से धारा 370 हटाने का मामला हो या फिर अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो। तीन तलाक का कानून हो या फिर सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने की बात हो। एक देश एक कर प्रणाली, सीएए आदि आदि सब वादे मोदी सरकार ने पूरे किए। अब मोदी हर सभा में लोगों की उत्सुकता बढ़ाने वाली नीति का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहना शुरू कर दिया कि अभी तक जो हुआ वो तो ट्रेलर था, पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त। सरकार बनने के बाद अगले 100 दिन में जो बड़े फैसले होंगे, उसकी पूरी तैयारी कर रखी है, जिसके बारे में अभी सोचा भी नहीं जा सकता है।
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विपक्ष को भ्रष्टाचार में लिप्त बताने की रणनीति कारगर….
लोगों को यह अहसास करवाया जा रहा है कि समूचा विपक्ष भ्रष्टाचार में लिप्त रहा है। भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई होती है तो ये चिल्लाने लगते हैं। मोदी कहते हैं कि जिन्होंने देश को लूटा है, उन्हें चुकाना ही पड़ेगा। किसी को बख्शा नहीं जाएगा। दस साल से सरकार में रहते हुए कोई भी भ्रष्टाचार नहीं होने का दावा किया जाता है, जबकि पिछली सरकारों में हर साल लाखों करोड़ के घोटालों को जोर शोर से प्रचारित किया जाता है। लोगों को भारत की पिछले 10 साल में भारत की आर्थिक व सैन्य प्रगति को भी गाने में कसर नहीं छोड़ी जाती है। मोदी भरे मंचों से साफ कहते हैं कि कश्मीर से पत्थरबाज गायब हो गए और वहां विकास की नई शुरूआत हुई है।
घर में घुसकर मारती है यह सरकार….
देश से आतंकवाद की कमर तोड़ दी गई है, जिसने भी हिमाकत की, उसे जहन्नुम का रास्ता दिखा दिया गया। पाकिस्तान का बिना जिक्र किए जनता को बताया जाता है कि अब यह नया भारत है जो घर में घुसकर मारता है। (पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक के संदर्भ में) पाकिस्तान का नाम लेते ही हिन्दुस्तान में खून खोलने लगता है और भाजपा अपने नारे कश्मीर तो क्या देंगे, पाकिस्तान ही ले लेंगे को दोहराती है।
प्रतीकात्मक शब्दों से राहुल निशाने पर….
मोदी बिना विपक्षी नेताओं का नाम लिए प्रतीकात्मक शब्दों से उन पर हमला करते हैं, ताकि वे चुनाव आयोग में कोई शिकायत भी दर्ज नहीं कर सके। ये प्रतीकात्मक शब्द विपक्षी नेताओं को अंदर तक चीर कर रख देते हैं और वे कुछ नहीं कर पाते हैं। हालांकि मोदी की इस शैली का विपक्ष ने 2019 के लोकसभा चुनाव में इस्तेमाल किया, परन्तु जनता ने उसे नकार दिया। मोदी की भाजपा को 2014 से ज्यादा सीटों पर जीत और दिला दी। 2024 के चुनाव से अब कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने इससे किनारा कर लिया, लेकिन मोदी पीछे नहीं हटे। मोदी की नेहरू-गांधी परिवार से कभी नहीं बनी। प्रारंभ से ही वे आक्रामक रहे। हर चुनाव की तरह इस लोकसभा चुनाव में भी राहुल गांधी उनके निशाने पर हैं। वे राहुल गांधी का नाम लिए बगैर ही उन पर हमले करते हैं। सबसे पहले शहजादा शब्द का उनके लिए ईजाद किया गया। फिर युवराज कहकर संबोधित करने लगे। जब युवराज और शहजादा बोलते हैं तो जनता मोदी मोदी के नारे लगाने लगती है। मोदी की बात यहीं नहीं रूकी उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें नामदार ही नाम दे डाला। इससे पहले पप्पू कहकर उनकी छवि को पूरी तरह धूमिल किया गया। यानि यह बताने में सफल हो गए कि उम्र चाहे उनकी कितनी भी हो, लेकिन वो बच्चे ही हैं वो भी अपरिपक्व।
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राहुल की किस्मत अभी साथ नहीं….
राहुल गांधी की किस्मत साथ नहीं दे रही, तभी लगातार लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को हार का सामना करना पड़ रहा है। अमेठी लोकसभा चुनाव में हार के बाद 2019 में दक्षिण में वायनाड से चुनाव लडऩे का फैसला करने से कांग्रेस पार्टी को काफी नुकसान उठाना पड़ा। मोदी और भाजपा ने इस तरह प्रचारित किया कि इन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है कि कभी भी जनता को मझदार में छोड़ देंगे। विपक्ष के प्रहारों के बजाय जनता ने मोदी पर भरोसा जताया, यही वजह है कि मोदी लगातार हर काम के लिए मोदी की गारंटी का इस्तेमाल कर रहे हैं। भाजपा के हर नेता अपने भाषणों में मोदी के नेतृत्व में सशक्त और नवीन भारत की तस्वीर जनता को प्रमाण के साथ बता रहे हैं। चाहे चंद्रयान का सफल परीक्षण के बाद चंद्रमान तक पहुंचने का मामला हो या सैन्य शक्ति के रूप में भारत का विश्व में चौथी ताकत के रूप में कायम होना हो। आर्थिक रूप से 2014 में भारत दुनिया में 11वें स्थान पर था, लेकिन अब ब्रिटेन को पीछे छोडक़र पांचवें स्थान पर प्रतिस्थापित है। 2027 तक तीसरी ताकत और 2047 तक विकसित भारत के रूप में अपनी पहचान बनाने के लिए संकल्पबद्ध है। पिछले 10 सालों के काम के आधार पर ही आगे का जो सपना दिखाया जा रहा है, उसे लोग मान भी रहे हैं। बहरहाल, 4 जून को तस्वीर साफ होगी कि अबकी बार 400 पार या अबकी बार बाहर…..।