डा. उरुक्रम शर्मा
पाकिस्तान जल उठा। जबरदस्त बवाल मचा हुआ है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान सरकार ने इस तरह के विद्रोह की कल्पना तक नहीं की थी। जनता पहली बार सेना के खिलाफ सडक़ पर उतर आई। लाहौर के गवर्नर हाउस को जला दिया। रावलपिंडी सेना मुख्यालय पर कब्जा कर लिया। सेना के अफसरों के घरों को तहस-नहस करने लगे हैं। जनता का सेना के खिलाफ उतरना किसी राष्ट्र के लिए बहुत खतरनाक संकेत है। बौखलाई सरकार ने पंजाब प्रान्त को फौज के हवाले कर दिया। पूरे देश में इंटरनेट और सोशल साइट्स को बंद कर दिया गया। विदेशी एंबेसी के लोगों को बाहर नहीं निकलने की हिदायत दी गई है। परमाणु सेंटर को विशेष दक्षता प्राप्त कमांडों के हवाले कर दिया गया। स्कूल-कालेजों को बंद कर दिया गया।
हाईकोर्ट ने इमरान खान की गिरफ्तारी को वैध ठहराया लेकिन तरीके को सही नहीं माना है। वैसे पाकिस्तान में ना तो अदालतें कोई वजूद रखती है, ना ही सरकार की कुछ चलती है। सरकार भी सेना ही चलाती है। वरना कैसे अदालत से पाकिस्तानी रेंजर्स इमरान खान को ले जा सकते थे? सबकुछ योजनाबद्ध था। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शरीफ और आर्मी चीफ दोनों ही देश से बाहर थे और पीछे से यह कार्रवाई हुई है। पाकिस्तान के हालात को लेकर तमाम बड़े देशों ने अपने नागरिकों को प्रदर्शन वाली जगहों से दूर रहने की नसीहत दे दी है।
इमरान खान की पार्टी ने करो या मरो के तहत सडक़ों पर मोर्चा संभाल रखा है। पाकिस्तान के प्रत्येक शहर में हालत बद से बदतर होते जा रहे हैं। महिलाएं तक सेना और सेना के वाहनों पर पत्थर फेंकने से गुरेज नहीं कर रही है। एक तरह से गृहयुद्ध छिड़ चुका है। किसी भी क्षण वहां सेना सबकुछ अपने हाथ में लेकर सैन्य शासन थोप सकती है। वैसे भी पाकिस्तान में सरकार में सेना का ही पूरा हस्तक्षेप रहता है। योजनाओं को बनाने से लेकर उन्हें लागू करने तक में। किसकी सरकार बनानी है और किसकी गिरानी है, यह भी सेना ही तय करती है। इमरान खान ने अपनी सरकार भी सेना के दम पर ही बनाई थी। सेना के खिलाफ बोलने से ही सेना ने उन्हें अपने राडार पर ले लिया और परिणाम चंद घटों बाद ही गिरफ्तारी।
असल में यह पहला अवसर नहीं है कि पाकिस्तान में कोई पूर्व प्रधानमंत्री गिरफ्तार हुआ है। अब तक सात पूर्व प्रधानमंत्रियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। एक को फांसी की सजा दी गई है। पाकिस्तान में यह हालात उसके कर्मों के कारण ही हुई है। कहने को पाकिस्तान में लोकतंत्र है, हकीकत में सैन्य तंत्र काम करता है। जितना शासन चुनी हुई सरकारों ने नहीं किया, उससे ज्यादा पाकिस्तान में सैन्य शासन रहा है। यही वजह है कि भारत और पाकिस्तान एक समय पर आजाद होने के बावजूद पाकिस्तान रसातल में पहुंच गया और भारत का तमाम विकसित देश लोहा मानने लगे। पाकिस्तान कर्जा लेने के लिए दुनियाभर में कटोरा लेकर भीख मांग रहा है और भारत अपनी आर्थिक स्थिति को दिन पर दिन मजबूत करते हुए ब्रिटेन से आगे बढ़ चुका है। भारत पूरी तरह से आत्मनिर्भर होने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है और पाकिस्तान जरूरत की चीजों के लिए भी दूसरे देशों पर निर्भर है। भारत ने व्यापारिक समझौता तोडक़र पाकिस्तान की कमर पूरी तरह तोड़ कर रख दी, परिणाम वहां महंगाई सारे रिकार्ड तोड़ रही है। लोगों के लिए रोजी रोटी के लाले पड़ गए हैं।
पाकिस्तान ने विकास की जगह भारत में आतंकवाद फैलाने में धन खर्च किया। अपनी जमीन पर आतंकवादियों की पैदावर की। जम्मू कश्मीर का रोना रोते पूरी तरह बर्बादी के कगार पर पहुंच चुका है। कंगाल पाकिस्तान में अब सैन्य शासन लागू हो जाता है तो जनता सीधे तौर पर मुकाबला करेगी। इमरान की गिरफ्तारी के बाद धारा 144 लागू की गई, लेकिन उग्र जनता उसका उल्लंघन करके मोर्चा ले रही है। पाकिस्तान की सैन्य सत्ता को हाथ से इस कदर बाजी निकलने की सोची भी नहीं थी। नए सिरे से उच्च स्तरीय बैठकों के दौर चल रहे हैं। पाकिस्तान के इस हालात से अब उसे दिवालिया होने से कोई रोक नहीं सकती है।
चीन से भारी कर्ज ले रखा है, लेकिन अब चीन आंखों दिखा रहा है। आईएमएऊफ कर्जा देने को तैयार नहीं है। अमेरिका ने पहले ही हाथ खींच लिए हैं। विदे्शी मुद्रा भंडार पूरी तरह निपट चुका। जो बचा है, वो गारंटी के पेटे होने के कारण उपयोग कर नहीं सकता है।
ुपाकिस्तान के लिए रस्सी जल गई, लेकिन बल नहीं गए की कहावत चरितार्थ होती है। पाकिस्तान ने अब तक चार युद्ध भारत पर थोपे और चारों ने ही जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा। इतना हीं वरन देश के टुकड़े हो गए। पाकिस्तान से छिटक कर बांग्लादेश नया देश बन गया। आज पाकिस्तान की इकोनोमी अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भी कमजोर हो चुकी। भारत ने कूटनीति से पाकिस्तान को परास्त कर दिया। पूरे विश्व में पाकिस्तान को पूरी तरह अलग थलग कर दिया। मुस्लिम मुल्कों के भरोसे पाकिस्तान चल रहा था, लेकिन मुस्लिम देशों को भी अब पाकिस्तान पर ऐतबार नहीं रहा है, यही कारण है कि उन्होंने भी संकट के समय पाकिस्तान को मदद देने से हाथ खींच लिए या फिर गारंटी की शर्त अड़ा दी।
इन हालात को देखते हुए लगता नहीं है कि पाकिस्तान में इस साल आम चुनाव हो पाएंगे। वैसे इमरान खान की लोकप्रियता के चलते शाहबाज की पार्टी परेशान है। ऐसे में चुनाव से इमरान को दूर करने के लिए एक के बाद एक करके अब तक 140 मुकदमे उन पर थोप दिए। इनमें भ्रष्टाचार से जुड़े गंभीर मामले भी हैं। अलबत्ता अपनी ही लगाई आग में झुलस रहे पाकिस्तान की आग कहीं उनके परमाणु केन्द्रों तक पहुंचकर नक्शे से पाकिस्तान का नामोनिशां ही नहीं मिटा दें।
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