अरे बाबा, बताओ ना। पनौती कौन है। यहां तो खेला हो गया। Panoti Kon तो बोलने वालों पर खरी बैठ गई। पनौती नाराज हो गई, आखिर उसे क्यों दूसरे को सौंपा जा रहा है। पनौती तो पनौती है बाबू, पूछा नहीं छोड़ती। चाहे कुछ भी कर लो।
भगवान जाने, कौन है इस व्यक्ति का सलाहकार। कुछ भी बुलवा देता है बेचारे से। ये उसका अर्थ नहीं समझता, नई चीज देखता है तो मचल जाता है, लग जाता है उसके प्रचार में। जब अर्थ समझ आता है, तब तक नाव डूब चुकी होती है। अब महा विद्वान से पूछो, किसने इसे कहा था, भारत ऑस्ट्रेलिया मैच की हार पर मोदी को पनौती कह दो, इसलिए भारत हारा। हे महामानव, जिसे पनौती बताकर चुनाव जीतना चाह रहे थे, उसी जनता ने हिसाब ले लिया।अब महापुरुष ने पनौती कह दिया तो गली के छुटभैया भी पनौती पनौती करने लगे।
सोशल मीडिया पर ऐसे टूट पड़े, जैसे उनके हाथ जीत का शस्त्र लग गया हो। जनता ने उस शस्त्र का ट्रिगर ऐसा दबाया की राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कमल खिल गया। हो गया ना कमाल। मध्य प्रदेश में सरकार बनाने, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार रिपीट होने के दावे किए जा रहे थे लेकिन बड़े भैया के Panoti ने बेड़ा गर्क कर दिया। भारत की जनता अपने नेता के लिए हल्के शब्द बोलने वालों को रिजेक्ट कर देती है। लगातार रिजेक्ट होने के बाद भी इन्हें समझ नहीं आ रही, तो अब भगवान भी इनका भला नहीं कर सकता।
बात बात में सुबह से रात तक मोदी को तरह तरह की गाली देना जिंदगी का एक हिस्सा बन चुका है। मोदी है, की गाली लगती ही नहीं, जितनी गाली बकते हैं, उतना मोदी का कमल ज्यादा खिल जाता है।
महामानवों, राजनीति में हवा का रुख़ क्या कहता है, उसे भी भांपना जरूरी होता है। प्रधानमंत्री की कुर्सी सिर्फ मचलने से नहीं मिलती है। ऐसे करते है जैसे दीना का लाल चांद के लिए मचल जाता है। अब तीन राज्य हाथ से निकल गए, तो जनता ही बताए, कि Panoti Kon?
डॉ. उरूक्रम शर्मा