लो जी तैयार हो जाओ, मोटी तनख्वाह कमाने का सपना देखने वालों। भूल जाओ अपनी बीवी, बच्चों और परिवार को। संडे के पापा और सन्डे के ही पति, बेटा बन जाओ। जनाब, अब प्राइवेट सेक्टर खून चूसने की तैयारी कर चुका है। सप्ताह में 70 घंटे काम लेगा और सैटरडे की भी छुट्टी खत्म होगी। इंफोसिस के मालिक नारायण मूर्ति ने इसका शगूफा छोड़ दिया है। जिंदल ग्रुप के मालिक ने भी इसमें अपनी हां भर दी। यानी वो भी नारायण मूर्ति के विचारों से पूरी तरह सहमत हो गए। उनके तर्क हैं की भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है तो काम भी उसी हिसाब से मिलकर करना होगा।
जनाब, ये मत सोचो, ज्यादा काम के ज्यादा पैसे मिलेंगे। पैसे उतने ही रहेंगे काम बढ़ जायेगा। अब देखो अभी सप्ताह में 5 दिन काम करते हैं, 8 घंटे रोज के हिसाब से भी 40 घंटे होते हैं। 10 घंटे रोज के हिसाब से भी 50 घंटे होते हैं। 70 घंटे सप्ताह के हिसाब से 20 घंटे हर सप्ताह ज्यादा होते हैं। महीने में 5 सप्ताह आ गए तो 100 घंटे ज्यादा। साल में 1200 घंटे ज्यादा। यानी पूरे साल में 50 दिन ज्यादा काम और वेतन वही। हो न तैयार खून चुसवाने के लिए।
सोचो, एक मजदूर रोज 8 घंटे काम करता है। एक घंटे का रोज लंच करता है। शान से घर जाकर बच्चों के साथ समय गुजारता है। भले उसे कम मिल रहें है लेकिन सुकून तो है उसको। आप निजी क्षेत्र में काम करके मशीन बन रहे हो, पैसा तो आपको वो ही मिलेगा, जो अभी मिल रहा है लेकिन बदले में सबसे दूर हो जाओगे। बीवी, बच्चों को सोते हुए देखोगे और सुबह वो सोते रहेंगे, तब तक आप काम पर निकल जाओगे। ड्यूटी पर 10 मिनट भी लेट हुए तो हाफ डे लग जायेगा। लंच आधा घंटा से ज्यादा करने का मौका नही मिलेगा। आधा घंटा होते ही घंटी बज जायेगी। दिन भर रोबोट की तरह मशीन बनकर काम करना, बदले में स्ट्रेस, डिप्रेशन, कमर दर्द, गर्दन दर्द, थकान मिलेगी और उमर से पहले थकिया जाओगे।
बहुत सारी कम्पनियों ने कोविड को एक उपहार की तरह लिया। कोविड़ के नाम पर वेतन काट लिए, जो आज तक बढ़े नहीं। कर्मचारियों की कोविड़ के नाम पर छटनी कर दी, जिन्हें हटाया उनका काम भी मौजूदा कर्मचारियों के माथे डाल दिए। इंक्रीमेंट का ऐसा फार्मूला लगाया गया की उसमें माइनस मार्किंग के इतने रास्ते लगा दिए की बढ़ने की तो उम्मीद लगाना बेमानी है।
मूर्ति और जिंदल तो सरकारी क्षेत्र में भी 5 डे वीक के सख्त खिलाफ हैं। उनका कहना ही है, काम नहीं होगा तो देश कहा से आगे बढ़ेगा। अब सोच लो अपने देश में तो वैसे भी 8pm का टाइम सबसे खतरनाक है। कभी भी बाबा जी आयेंगे, घोषणा हो जायेगी। लिहाजा अब मानसिक रूप से सबको बदलने वाले दौर के हिसाब से तैयार होना पड़ेगा, वरना या तो मजदूरी करो या स्टार्ट अप शुरू करके मालिक बन जाओ।
तय आपको करना है, अब गेंद आपके पाले में है बरखुद्दार..
– डॉ उरुक्रम शर्मा