संसद भवन के उद्घाटन समारोह को संवैधानिक उपबंध के आधार पर चुनौतियां मिल रही है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति से नए संसद का उद्घाटन कराने का निर्देश देने वाली याचिका दायर की गई है। जिसमें कहा गया है कि लोकसभा सचिवालय ने राष्ट्रपति को उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं कर के संविधान का उल्लंघन किया है।
सेंट्रल विस्ता प्रोजेक्ट इनॉग्रेशन विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा। यही वजह है कि लगभग 40 पार्टियों में से 20 पार्टियां कांग्रेस समेत संसद भवन के नए उद्घाटन समारोह का बहिष्कार कर रही है। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी समेत 17 पार्टियों ने इस निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है।
विपक्ष का कहना है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दरकिनार कर प्रधानमंत्री से संसद का इनॉग्रेशन कराने का निर्णय केवल गंभीर अपराध है बल्कि यह लोकतंत्र पर भी सीधा हमला है। आत्मचिंतन, आत्मा अवलोकन के साथ-साथ संसदीय गरिमा और संवैधानिक उपबंधो का हवाला देते हुए विपक्ष ने मौजूदा सरकार पर कई बड़े हमले किए हैं।
कब होगा उद्घाटन?
नई संसद भवन का उद्घाटन 28 मई रविवार को होने जा रहा है जिसमें सुबह हवन विधिवत पूजा पाठ होगा प्रधानमंत्री मोदी दोपहर 12:00 बजे भवन का उद्घाटन करेंगे। यही नहीं इस मौके पर संसद भवन के निर्माण में योगदान देने वाले श्रम योगियों का सम्मान भी किया जाएगा।
इस बीच सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक राजदंड, संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया जाएगा।
संसद निमंत्रण पत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के उल्लेख का अभाव कहीं बीजेपी को भारी ना पड़ जाए?
प्रश्न उठता है संसद किसे कहते हैं?
भारतीय संसद भारतीय गणराज्य का सर्वोच्च विधायी निकाय है। जिसमें राष्ट्रपति सहित दो सदन उच्च सदन राज्यसभा और निम्न सदन लोकसभा शामिल होते हैं। ऐसे में सदन के उद्घाटन समारोह में देश का प्रथम नागरिक शामिल ना हो तो यह संवैधानिक उपबंधो के साथ साथ संवैधानिक शिष्टाचार का अपमान भी हो सकता है।