Anokhi Holi 2024: होली इस वर्ष 24 मार्च को सेलिब्रेट की जायेगी। इसके अगले दिन 25 मार्च को धुलेंडी का त्यौहार देशभर में बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा। होली हिन्दुओ का पारंपरिक त्यौहार है, जिसे न सिर्फ भारत में बल्कि दुनियाभर में पसंद किया जाता है। बच्चों से लेकर बूढ़े तक रंगों के इस पर्व के रंगों में डूबे नजर आते है। आमतौर पर रंगों से खेली जाने वाली इस होली को देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरह से सेलिब्रेट किया जाता है।
इस लेख में हम बात कर रहे है, बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले के कुन्डरा गांव की, जहां महिलाओं की अनोखी होली काफी फेमस है। यहां सिर्फ महिलाएं ही होली खेलती है। औरतों के अलावा मर्दों और बच्चों तक को होली खेलने की इजाजत नहीं है। होली के एक दिन बाद गांव के पुरुष घरों में ही रहते है। होली खेलने के दौरान गांव की वो महिलायें भी अपना घूंघट उतार देती है, जो बड़े-बुजुर्गों के सामने घूंघट में रहती थी। वे टोली बना होली का जश्न मनाती है।
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सिर्फ महिलाएं खेलती हैं होली
यह अनोखी परंपरा बीते कई सालों से कुन्डरा गांव के लोग निभाते आ रहे है। महिलाओं को छोड़ दे तो, गांव को कोई मर्द या बच्चा होली नहीं खेलता है। गांव के पुरुष धुलेंडी के दिन रोजमर्रा की तरह अपने खेतों में जाकर काम करते है। वहीं, पीछे से महिलायें जमकर होली का जश्म मनाती है। घर के बच्चे साफ सुथरे घरों में रहते है। इस दिन पूरे गांव की महिलाएं राम-जानकी मंदिर में एकत्र होती है, और फाग गाने के बाद धूमधाम से होली खेलती है।
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कैसे शुरू हुई यह परंपरा?
कुन्डरा गांव के लोग बताते है कि, एक बार होली के दिन गांव के रामजानकी मंदिर में ग्रामीण फागुन के गीत गा रहे थे। उस दौरान डकैत मेम्बर सिंह ने गांव के ही रजपाल पाल की गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था। यह अजीबोगरीब परंपरा है, जो उस घटना के बाद से ही पूरे गांव में बनने लगी थी। इस घटना के बाद लोगों ने होली मनाना ही बंद कर दिया था। इसके बाद महिलाओं ने अथक प्रयास किये कि, होली जश्न मनाया जाए, लेकिन पुरुष नहीं माने। इसके बाद महिलाओं ने गांव में हर वर्ष पुरुषों और बच्चों के बिना ही होली बनाना शुरू कर दिया। लेकिन आज भी गांव के पुरुष-बच्चे होली नहीं खेलते है।