बगलामुखी देवी दुर्गा से बनी दस महाविद्याओं में आठवी देवी हैं। जिनकी जयंती आज है। इन्हें पीतांबरा भी कहा जाता है। इनकी पूजा दुश्मनों पर जीत पाने की कामना से होती है। कोर्ट-कचहरी के कोई मामले हों तो इनकी आराधना और अनुष्ठान बहुत कारगर होता है। माता की पूजा से हर तरह की परेशानी और बीमारियां दूर होती हैं। बगलामुखी शब्द वल्गामुखी का बिगड़ा हुआ रूप है। वल्गा का अर्थ होता है लगाम। वल्गामुखी यानी जो दुश्मनों की जीभ पर लगाम कस दें। यानी दुश्मनों के मुंह, हाथ-पैर बांधकर उन्हें बंधक बनाने वाली शक्ति। ये स्तंभन शक्ति की अधिष्ठात्री भी है। इसलिए दुश्मनों पर जीत प्राप्त करने के लिए इनकी पूजा होती है।
देवी बगलामुखी को पीला रंग बहुत पसंद है। यह रंग पवित्रता, आरोग्य और उत्साह का प्रतीक माना जाता है। इनकी पूजा में भी पीले रंग के कपड़े, फूल, आसन, माला, मिठाई और अन्य सामग्रियों का रंग भी पीला ही लिया जाता है।
पूजा से मिलती है बीमारियों और कर्ज से मुक्ति
भक्तों के डर को दूर करके दुश्मनों और उनकी बुरी शक्तियों का नाश देवी करती हैं। हल्दी और केसर से देवी बगलामुखी की विशेष पूजा करने से बीमारियों से मुक्ति मिलती है। इनकी पूजा से दुश्मन के साथ रोग व कर्ज से परेशान लोगों को राहत मिलता है। जब राक्षसी शक्तियों ने पृथ्वी पर एक बड़ा तूफान पैदा करने की कोशिश की। तब सभी देवता सौराष्ट्र क्षेत्र में इकट्ठे हुए। जो गुजरात में है। देवताओं की प्रार्थना से देवी ने खुश होकर, वल्गामुखी रूप लिया। जो कि पीले समुद्र से प्रकट हुईं।