Chaitra Navratri 2024: राजस्थान की पावन धरा पर मां शक्ति के कई धाम स्तिथ है। ये धाम अपने-आप में एक कहानी कहते है। उन्हीं में से एक है, राजधानी जयपुर के आमेर किले में शिलामाता देवी का मंदिर। माता शिला देवी का मंदिर अपनी बेजोड़ स्थापत्य कला के लिए भारतवर्ष में मशहूर है। मंदिर में विराजमान मां शिला देवी चमत्कारिक है। कहते है कि, मां शिलादेवी की कृपा से ही राजा मानसिंह ने 80 से भी अधिक लड़ाइयों में विजय हासिल की थी।
जयपुर राजवंश के शासकों ने शिलामाता को ही अपना शासक मानकर यहां राज्य किया। आमेर महल परिसर में स्थित शिला माता मंदिर में आजादी से पहले तक सिर्फ राजपरिवार के सदस्य और प्रमुख सामंत-जागीरदारों को ही दर्शन करने की अनुमति हुआ करती थी। लेकिन, अब समय वो है जब आमजन भी यहां प्रतिदिन सैंकड़ों की तादाद में दर्शन करने पहुंचते है। चैत्र और अश्विन नवरात्रि में तो शिलामाता के दर्शन करने के लिए लंबी-लंबी कतारें लगती है।
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15वीं शताब्दी में हुई मंदिर की स्थापना
जयपुर के प्राचीन प्रमुख मंदिरों में शुमार इस मंदिर की स्थापना 15वीं शताब्दी में की गई थी। तत्कालीन आमेर के शासक राजा मानसिंह प्रथम द्वारा इसकी स्थापना हुई। कहते है, माता रानी को मन से याद किया तो किसी तरह का संकट हो या युद्ध, जीता जा सकता है। बड़े से बड़ा संकट भी टल जाता है।
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चढ़ता है गुझिया और नारियल का प्रसाद
आज भी कोई संकट आता है तो राजघराने के लोग शिलामाता के दर्शन करने पहुंच जाते है। साल में दो बार चैत्र और आश्विन के नवरात्रि में यहां मेला भरता है। नवरात्रि में माता का विशेष श्रृंगार होता है। प्रदेश की उपमुख्यमंत्री और पूर्व राजघराने की सदस्य दीया कुमारी बताती है कि, वैसे तो उनकी कुलदेवी जमवाय माता हैं, लेकिन शिलामाता आराध्यदेवी के रूप में पूज्य है। माता के मंदिर में विशेष रूप से गुझिया और नारियल का प्रसाद भी चढ़ाया जाता है।