Devshayani Ekadashi Vishnu Mala: पंचांग के अनुसार देवशयनी एकादशी तिथि की शुरुआत 16 जुलाई की रात 08:33 मिनट पर होगी। वहीं इसका समापन 17 जुलाई की रात 09:02 मिनट पर होगा। उदयातिथि को देखते हुए 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat) रखा जाएगा। इसका पारण समय 18 जुलाई की सुबह 5 बजकर 34 मिनट से 8 बजकर 19 मिनट तक का रहेगा। श्री हरि 4 माह बाद देवउठनी एकादशी पर योग निद्रा से उठेंगे।
देवशयनी एकादशी के दिन से ही चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है। इन 4 महीनों में शुभ कार्यों पर रोक रहती है। देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की आराधना करना आवश्यक माना गया है। सच्ची आस्था से इस दिन श्री हरि की पूजा आराधना करने से भक्तों को जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति होती है। देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के दौरान उन्हें विशेष मालाएं अर्पित करनी चाहिए। चलिए जानते है इसके बारे में विस्तार से जानकारी।
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देवशयनी एकादशी के दिन विष्णु माला
(Devshayani Ekadashi Vishnu Mala)
- – पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी अवतरित हुई थी तो उनके हाथ में वैजयंती माला (Vyjayanthi Mala) थी। उसी माला को मां लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को पहनाकर श्री हरि संग विवाह किया था। यही वजह है कि देवशयनी एकादशी के दिन श्री हरि को वैजयंती माला पहनानी चाहिए।
- – धर्म ग्रंथों के अनुसार गेंदे के फूल भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है। ये फूल गुरु ग्रह का प्रतिनिधित्व करते है, जोकि विष्णु जी का वार भी है। इसलिए देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को गेंदे के फूल की माला पहनाने का विधान है। ऐसा करने पर कुंडली में गुरु मजबूत होता है और परिवार में शांति रहती है।
- – धर्म ग्रंथों के अनुसार कमल का फूल भी श्री हरि को अत्यंत प्रिय है। विष्णु पत्नी मां लक्ष्मी का आसन भी कमल के पुष्प का ही है। ऐसे में देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को कमल की माला पहनाने से वे प्रसन्न होते है। ऐसा करने पर भक्तों पर श्री हरि विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।