जय सिया राम….भगवान राम अब अपने आसन पर। भारत का भाग्य और सौभाग्य…। अयोध्या में राम लला… पावन बहती सरयू नदी। भारत की आस्था और विश्वास की धरती। हिंदुओं के आराध्य की धरती। धर्म और संस्कृति की धरती। एक नया सवेरा हुआ। बरसों से जिसका इंतजार था, वो काम सफल हुआ।
राम लला का भव्य मंदिर प्रगति पर है। हिंदुओं का सबसे श्रेष्ठ और पावन स्थान। रामायण में जैसा अयोध्या को पढ़ा, ठीक वैसी ही अयोध्या बनने को तैयार। जहां माटी को मस्तक पर लगाने मात्र से ही मानव योनि में जन्म लेना सफल हो जायेगा। संतों की तपस्या और हिंदुओं के विश्वास के बल पर राम लला का राज्याभिषेक।
श्री राम जन्मभूमि मन्दिर के भूतल के खम्बों पर बीम रखने का कार्य प्रारम्भ
दुख होता था जब राम लला टाट के मंदिर में बिराजे हुए थे। भगवान राम हुए या नहीं अयोध्या में, इस मामले को कोर्ट ले गए। कोर्ट को फैसला करना पड़ा। भारत में ये साबित करना पड़ा राम लला को , हां उनकी जन्मस्थली अयोध्या ही है। वैसे तो सारा खेल भगवान राम का ही है। वो बताना चाह रहे थे, जीवन में सुख सदा नहीं रहता। दुख आते है, चाहे राजा हो या रंक।
लेकिन जीत अंत में सिर्फ सत्य की होती है। हुआ भी ये ही। आओ, आज के दिन हम संकल्प करे, रामायण के बताए रास्ते पर चलने की भगवान राम हमें शक्ति और प्रेरणा दे। हम जानते है, हम हमारे बूते पर ऐसा नहीं कर सकते, सिर्फ उसकी कृपा से ही संभव है। हे राम, बजरंगबली जैसी भक्ति देकर सबको अपनी शरण में ले लो।
डॉ उरु क्रम शर्मा